यह सदाचार वेला पूरे दिन हमें ऊर्जा देने की वैचारिक ओषधि है स्थितप्रज्ञ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदैव प्रयास रहता है कि यह वेला सार्थक बने आज दिनांक 07/10/2021 (नवरात्र का प्रथम दिवस ) की सदाचार वेला अपनी सार्थकता कैसे सिद्ध कर रही है आइये देखते हैं
कुछ लोग नवरात्र के व्रत अत्यन्त श्रद्धा संयम सेवा समर्पण नियम के साथ करते हैं व्रत अर्थात् संकल्प
सत्य की अपने यहां बहुत महिमा है जैसे एक शब्द है सत्यव्रत
भ्रमित होने पर सत्य का पक्ष लेने के लिए ही कहा जाता है
सत्य का अर्थ है त्रिकाल से अबाधित
वेद अर्थात् ज्ञान, शास्त्र अर्थात् शिक्षा
तैत्तरीय उपनिषद् में शिक्षावल्ली नामक छोटा सा अध्याय है जिसमें स्वरों व्यंजनों का सही उच्चारण आदि बताया गया है
वैदिक मन्त्रों में उच्चारण की क्रिया अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है
यह भी देखा जाता है कहां उतार है कहां चढ़ाव है इस प्रकार की भाषा मन्त्र बन जाती है इसी कारण शाप भी अत्यधिक महत्त्व का होता था और लोग इससे बचते थे
भारत को संपूर्ण विश्व विश्वगुरु मानने के लिए विवश था क्योंकि भारत की भक्ति शक्ति विचार आचरण अनुपमेय था
आचार्य जी इसमें भी प्रयासरत हैं कि हम भारत के सशक्त प्रहरी रक्षक बन जाएं
भारत वह धरती है जो व्यक्ति के पीछे नहीं तत्त्व के पीछे चलती है
आपने मानस से एक प्रसंग लिया
प्रभु प्रसन्न मन सकुच तजि जो जेहि आयसु देब।
सो सिर धरि धरि करिहि सबु मिटिहि अनट अवरेब॥269॥
इसके अतिरिक्त सुभद्रा माता जी भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी श्री कृष्णदेव जी पू o गुरु जी आदि के प्रसंग क्या थे जानने के लिए सुनें