1.11.21

दिनांक 01/11/2021 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है संस्कृत संयतात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 01/11/2021 का सदाचार संप्रेषण


आचार्य जी को बहुत कम आयु से एक सूत्र सिद्धान्त का वाक्य प्रभावित किये हुए है

जो करता है सब परमात्मा करता है

और वह अच्छा ही करता है

लेकिन यह प्रायः संकटों में याद आता है 

कष्ट संकट समस्याएं भोग हैं

धन की तीन अवस्थाएं भोग दान नाश हैं


आचार्य जी ने ठण्डी पुलिया कानपुर से संबन्धित एक प्रसंग सुनाया जब संघ के प्रचारक रहे ठाकुर साहब स्व राम गोविन्द सिंह जी (हिन्दू जागरण मंच ) ने आचार्य जी को प्रदेश का बौद्धिक प्रमुख बना दिया था


आचार्य जी ने एक और अत्यधिक रोचक कथा सुनाई जब देव इन्द्र ने ऋषि लोमस को अपने महल बुलाया


तैत्तिरीय उपनिषद् में परमात्मा के बारे में ज्ञान मिल जायेगा


आपने तुलसी के बारे में ये पंक्तियां लिखीं 


प्रचंड तेज शक्ति शील रूप के विधान हो

अनिन्द कर्म धर्म मर्म शर्म  संविधान हो

उदार हो विदार हो प्रफ़ुल्ल कोविदार हो

प्रसार भक्ति भाव राम नाम के प्रचार हो

(शर्म का अर्थ रक्षा,विदार का अर्थ युद्ध, कोविदार का अर्थ कचनार)

तुलसी हमारे मार्गदर्शक बने हुए हैं

आपने 

दातव्यमिति यद्दानं दीयतेऽनुपकारिणे।

देशे काले च पात्रे च तद्दानं सात्त्विकं स्मृतम्।।17.20।।गीता

का अर्थ बताया


ॐ तत्सदिति निर्देशो ब्रह्मणस्त्रिविधः स्मृतः।


ब्राह्मणास्तेन वेदाश्च यज्ञाश्च विहिताः पुरा।।17.23।

आदि में आये ॐ तत् सत्  का अर्थ बताया

संसार में हम कोई भी काम कर रहे हैं वह भगवान् करा रहा है यह भाव सदैव रहना चाहिए