13.10.21

दिनांक 13/10/2021 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है वन्द्य आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 13/10/2021 का सदाचार संप्रेषण


आचार्य जी ने बताया कि अपने गांव सरौंहां में कमल सरोवर के पास बने देवी मन्दिर में आज  अष्टमी का हवन है l

किसी भी प्रकार का भोग हो (जिसका संबन्ध इन्द्रियों से है)  उसकी एक सीमा है, इन्द्रियां जिनका संबन्ध मन से है सीमित क्षमताओं की हैं

मन का संयोजन बुद्धि से है बुद्धि के कई प्रकार हैं 

मेधा प्रतिभा प्रमा विवेक में सबसे महत्त्वपूर्ण विवेक हैl

आचार्य जी ने 

श्रुतिः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियमात्मनः_। 

एतच्चतुर्विधं प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य लक्षणम्॥ 


  (मनुस्मृति)(2/12)

की व्याख्या करते हुए बताया कि 

ये धर्म के चार लक्षण हैं

जैसे धर्म के दस लक्षण 👇

धृति: क्षमा दमोऽस्‍तेयं शौचमिन्‍द्रियनिग्रह:।

धीर्विद्या सत्‍यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्‌।। हैं 

तैत्तरीय उपनिषद् में तृतीय अनुवाक में 

अथाधिजौतिषम्। अग्निः पूर्वरूपम्‌। आदित्य उत्तररूपम्‌। आपः सन्धिः। वैद्युतः सन्धानम्‌। इत्यधिज्यौतिषम्‌।

अथाधिविद्यम्। आचार्यः पूर्वरूपम्। अन्तेवास्युत्तररूपम्‌। विद्या सन्धिः। प्रवचनं सन्धानम्‌।इत्यधिविद्यम्‌।

। इत्यधिप्रजम्‌।

अथाध्यात्मम्‌। अधरा हनुः पूर्वरूपम्‌।उत्तरा हनुरुत्तररूपम्‌। वाक् सन्धिः। जिह्वा सन्धानम्‌।

इत्यध्यात्मम्। इतीमा महासंहिताः।य एवमेता महासंहिता व्याख्याता वेद।सन्धीयते प्रजया पशुभिः।ब्रह्मवर्चसेनान्नाद्येन सुवर्ग्येण लोकेन॥

की भी आपने व्याख्या की

चौथे अनुवाक में

यश्छन्दसामृषभो विश्वरूपः। छन्दोभ्योऽध्यमृतात् संबभूव। स मेन्द्रो मेधया स्पृणोतु। अमृतस्य देव धारणो भूयासम्‌।शरीरं मे विचर्षणम्‌। जिह्वा मे मधुमत्तमा।कर्णाभ्यां भूरि विश्रुवम्‌।ब्रह्मणः कोशोऽसि मेधया पिहितः।श्रुतं मे गोपाय।

आवहन्ती वितन्वाना। कुर्वाणा चीरमात्मनः। वासांसि मम गावश्च। अन्नपाने च सर्वदा। ततो मे श्रियमावह।लोमशां पशुभिः सह स्वाहा।

आ मा यन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा। वि मायन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा। प्रमायन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा। दमायन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा। शमायन्तु ब्रह्मचारिणः स्वाहा। यशो जनेऽसानि स्वाहा। श्रेयान्‌ वस्यसोऽसानि स्वाहा। तं त्वा भग प्रविशानि स्वाहा। स मा भग प्रविश स्वाहा। तस्मिन् त्सहस्रशाख। नि भगाहं त्वयि मृजे स्वाहा। यथापः प्रवता यन्ति। यथा मासा अहर्जरम्‌। एवं मां ब्रह्मचारिणः। धातरायन्तु सर्वतः स्वाहा। प्रतिवेशोऽसि। प्र मा भाहि। प्र मा पद्यस्व।

है

जितना हम जान सकते हैं उतना भली प्रकार जानकर व्यवहार में प्रकट करें l

संगठन महत्त्वपूर्ण है l

17 अक्टूबर के कार्यक्रम में हम लोग पहुंचें l

आचार्य जी ने

कोविड संग्राम, यूपी मॉडल: नीति, युक्ति, परिणाम

Covid War, UP Model: Strategies, Tactics, Impact

प्रो मणीन्द्र अग्रवाल (IIT)

की पुस्तक की भी चर्चा की जिसके अनुवाद में नीरज भैया बैच 1981 ने सहयोग किया है

की चर्चा की