12.10.21

दिनांक 12/10/2021 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है पाठक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 12/10/2021 का सदाचार संप्रेषण

आचार्य जी ने तैत्तरीय उपनिषद् की चर्चा की जिसमें 

शिक्षा वल्ली में १२ अनुवाक और २५ मंत्र, ब्रह्मानंदवल्ली में ९ अनुवाक और १३ मंत्र तथा भृगुवल्ली में १९ अनुवाक और १५ मंत्र हैं।


सह नौ यशः। सह नौ ब्रह्मवर्चसम्‌। अथातः संहिताया उपनिषदं व्याख्यास्यामः। पञ्चस्वधिकरणेषु। अधिलोकमधिज्यौतिषमधिविद्यमधिप्रजमध्यात्मम्‌। ता महासंहिता इत्याचक्षते।

अथाधिलोकम्‌। पृथिवी पूर्वरूपम्‌। द्यौरुत्तररूपम्। आकाशः सन्धिः। वायुः सन्धानम्‌। इत्यधिलोकम्।


की व्याख्या करते हुए आपने बताया कि पूर्व रूप उत्तर रूप संपूर्ण सृष्टि का संयोजन है (महासंहिता)

यह विषय अत्यधिक आनन्दमय और विस्तार से समझने योग्य है कि शिक्षा का विधान कैसा हो ताकि इन छोटे छोटे उदाहरणों के माध्यम से हम जान लें कि सृष्टि में सब कुछ बनता कैसे है

यदि तैत्तरीय उपनिषद् को व्यवस्थित करके पाठ्यक्रम का अंग बना दिया जाए तो सभी का अत्यधिक कल्याण होगा l

शिक्षा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास करती है

भाव विचार क्रिया का संयोजन न हो तो शिक्षा अधूरी है अधूरी शिक्षा से हम पूर्णता नहीं प्राप्त कर सकते l

विद्यालय के सुखई माली जी,जिनमें अध्यात्म का प्रवेश था,की वो क्या रोचक बात थी जो उन्होंने आचार्य जी से तब  कही जब आचार्य जी ने उनसे पीली चमेली के बारे में बात की जानने के लिए सुनें