22.11.21

दिनांक 22/11/2021 का सदाचार संप्रेषण

 कि आई ब्रह्मवेला फिर उठो जागो जगाओ ना!

नये इस नित्य नूतन जन्म का उत्सव मनाओ ना!

रहे यह ध्यान आलस के प्रमादी घन न छा जाएं ,

निशा को दो बिदाई अब उषोत्सव-गीत गाओ ना !


प्रस्तुत है श्रेयोभिकांक्षिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 22/11/2021 का सदाचार संप्रेषण

मानस,गीता, उपनिषद्, विवेक चूडामणि और अन्य धार्मिक ग्रंथों का संस्पर्श करके इस सदाचार वेला को आचार्य जी पल्लवित करते रहे हैं l

मनीषी चिन्तक विचारक एकाग्रचित्त होकर अपने को किसी उद्देश्य में लगा लेते हैं l

आचार्य जी को अपने शिक्षकत्व पर गर्व है और आगे भी रहेगा l


एहि महँ रघुपति नाम उदारा।

 अति पावन पुरान श्रुति सारा ll 

मंगल भवन अमंगल हारी।

 उमा सहित जेहि जपत

पुरारी॥

तुलसीदास जी ने राम की कथा के गायन के लिए बहुत सारे ग्रंथों का अध्ययन किया था

आचार्य जी हम लोगों को अभी भी शिक्षार्थी मान रहे हैं और इसी कारण वो चाहते हैं कि हम संतुष्ट हो जाएं


जौं बालक कह तोतरि बाता। सुनहिं मुदित मन पितु अरु माता॥

हँसिहहिं कूर कुटिल कुबिचारी। जे पर दूषन भूषनधारी॥

 देश की नाव लहरों में झूल रही है तो इस समय हमारा कर्तव्य जाग्रत होने का है पहले हमें देश बचाना है

कौटिल्य के अर्थशास्त्र में राजनीति अर्थनीति आचरणशास्त्र इतिहास आदि बहुत कुछ है उसे पढ़ना चाहिए

देश की मनीषा  राष्ट्र के भाव के साथ यदि जुड़ती नहीं है तो हमेशा खतरा बना रहता है

हमने संघर्ष किये हैं और विजय भी प्राप्त की है



भारत के कण कण में अंकित , गौरव गान हमारा हैं! हम हिंदू ऋषियों के वंशज , हिंदुस्तान हमारा हैं!!                                    अंकित हैं इतिहास हमारा,त्यागपूर्ण बलिदानों से ।                        कौन नहीं हैं परिचित जग में,हिंदूवीर संतानो से ।                              रिपु से बातें हमने की हैं,बाणो और कृपाणों से ।                        मातृभूमि मानी हैं हमने,बढ़कर अपने प्राणों से ।                            हिंदुस्तान हमारा हैं बस,यही हमारा नारा हैं ।                             हम हिंदू ऋषियों के वंशज, हिंदुस्तान हमारा हैं!!                                          हम हैं वही जिन्होने रिपु दल को बहु नाच नचाये थे ।                          पथ से भटके अखिल विश्व को , हम ही राह पर लायें थे ।                  रहे विश्वगुरू हमसे ही सब, शिक्षा पाने आये थे!                                         अब भी शक्ति भुजाओं में, वीरों का हमें सहारा हैं!!


हरिसिंह नलवा, गुरु गोविन्द सिंह,रणजीत सिंह,महाराणा प्रताप, शिवाजी आदि वीरों की,ऋषियों की बहुत लम्बी सूची है जिसे पढ़ाने की आवश्यकता है स्वयं तो पढ़ने की है ही 

हम कभी पराभूत नहीं हुए हैं

प्रातःकाल की इस सदाचार वेला का सदुपयोग करना चाहिए धरातल पर उतरकर काम करना चाहिए

प्रयास केन्द्र में एक बैठक होनी चाहिए

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया शशि शर्मा  का भैया आशीष जोग का नाम क्यों लिया आदि जानने के लिए सुनें