4.12.21

दिनांक 04/12/2021 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है सानुक्रोश आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 04/12/2021 का सदाचार संप्रेषण

आचार्य जी का कहना है कि हम प्रबुद्ध श्रोता दुर्गुणों को पचाएं और सद्गुणों को प्रचारित करें

पापान्निवारयति योजयते  हिताय

गुह्यं निगूहति गुणान् प्रकटीकरोति  |

आपद्गतं च न जहाति ददाति काले

सन्मित्रलक्षणमिदं प्रवदन्ति  सन्ताः || -भर्तृहरि (नीतिशतक)

संतों का कहना है कि सच्चे मित्र के लक्षण

हैं कि वह हमें पाप के कार्यों को करने से रोकता है, हमारे हित के कार्यों को करने हेतु 

 हमें  प्रेरित करता है, हमारी गोपनीय बातों को नहीं बताता ,विपत्ति के समय में  हमारा साथ नहीं त्यागता व आवश्यकता  पर  सहायता हेतु तत्पर रहता है |

आसुरी स्वभाव में कई विकार हैं और दैवीय स्वभाव में विचारों की तुलना में विकार बहुत कम हैं हमें दैवीय गुणों को अपनाना चाहिए 

अभयं सत्त्वसंशुद्धिर्,

                         ज्ञानयोगव्यवस्थितिः   ।

       दानं  दमश्च   यज्ञश्च,

                        स्वाध्यायस्तप आर्जवम्।।

                                        (गीता 16/1)

श्रीभगवान् बोले -- भय का सर्वथा अभाव; अन्तःकरण की शुद्धि; ज्ञान के लिये योग में दृढ़ स्थिति; सात्त्विक दान; इन्द्रियों का दमन; यज्ञ; स्वाध्याय; कर्तव्य-पालन के लिये कष्ट सहना; शरीर-मन-वाणी की सरलता।


अहिंसा सत्यमक्रोधस्,

                         त्यागः शान्तिरपैशुनम्।

       दया    भूतेष्वलोलुप्त्वं,

                         मार्दवं     ह्रीरचापलम्।।

                                      (गीता 16/2)

अहिंसा, सत्यभाषण; क्रोध न करना; संसार की कामना का त्याग; अन्तःकरण में राग-द्वेषजनित हलचल का न होना; चुगली न करना; प्राणियों पर दया करना सांसारिक विषयों में न ललचाना; अन्तःकरण की कोमलता; अकर्तव्य करने में लज्जा; चपलताका अभाव।

तेजः क्षमा धृतिः शौचं,

                          अद्रोहो नातिमानिता।

       भवन्ति  सम्पदं  दैवीं,

                          अभिजातस्य भारत।।

                                     (गीता 16/3)

तेज (प्रभाव), क्षमा, धैर्य, शरीर की शुद्धि, वैर भाव का न रहना और मान को न चाहना, हे भरतवंशी अर्जुन ! ये सभी दैवी सम्पदा को प्राप्त हुए मनुष्य के लक्षण हैं।

किसी से सहायता प्राप्त हो रही है तो प्रसाद मानकर उसे ग्रहण करें l संसार में संघर्ष करने के लिए पात्रता लाएं l कोरोना के नये Variant Omicron के लक्षण घातक हैं विज्ञान की उपेक्षा न करें अध्यात्म को अपने साथ रखें

काल से संघर्ष करना मानव का पौरुष का गुण है नियम संयम का ध्यान रखें Mask का उपयोग करें काढ़े का सेवन करें l मसालों का सेवन न करें अमुक नमक न खाएं आदि व्यापार का विकृत तौर तरीका भी घातक है  यहां आत्मसमीक्षा अवश्य करें l

अध्यात्म और विज्ञान का सामञ्जस्य करें l गीता मानस 

का अध्ययन अवश्य करें l