1.3.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 01/03/2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है नीतिनिष्ण आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 01/03/2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




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यदि गम्भीर विषय न हो सामान्य बातचीत हो तो भी उसमें से तत्त्व निकाले जा सकते हैं

रशिया यूक्रेन युद्ध की ओर संकेत करते हुए आचार्य जी ने बताया कि ये सब अध्यात्म से इतर व्यवहार जगत् का कोप है जो मनुष्य को भस्मीभूत कर रहा है


इन विषयों में हमें  सामञ्जस्य बैठाते हुए चिन्तन मनन कार्यान्वयन करना चाहिये


आज शिव रात्रि का पुनीत पर्व है 

 शिव अद्भुत देवता हैं 

आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम लोग राम मनोहर लोहिया की पुस्तक पढ़ें

शिव की तरह तरह की पूजा होती है  जैसे लोधेश्वर के लिये  उमड़ती भीड़ का तो क्या कहना


शिव के साथ साथ राम और कृष्ण का इतना गहरा प्रभाव हमारी इस धरती पर है जिस पर चिन्तन किया जा सकता है


अठारह पुराणों 


1. ब्रह्म पुराण 10. ब्रह्म वैवर्त पुराण

2. पद्म पुराण 11. लिङ्ग पुराण

3. विष्णु पुराण 12. वाराह पुराण

4. शिव पुराण 13. स्कन्द पुराण

5. भागवत पुराण 14. वामन पुराण

6. नारद पुराण 15. कूर्म पुराण

7. मार्कण्डेय पुराण 16. मत्स्य पुराण

8. अग्नि पुराण 17. गरुड़ पुराण

9. भविष्य पुराण 18. ब्रह्माण्ड पुराण

में शिव पुराण तो है लेकिन वायु पुराण नहीं है कुछ विद्वानों के अनुसार वायुपुराण शिवपुराण का ही अंश है


आचार्य जी ने भैया (डा )प्रशान्त मिश्र जी सहित हम सबको परामर्श दिया कि शिव पुराण का अध्ययन करें

इसके विस्तार के लिये अलग अलग संहिताएं हैं


नर्मदेश्वर मूर्ति की तो प्राणप्रतिष्ठा की भी आवश्यकता नहीं होती


व्रत उपवास पूजन पाठ सभी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन इनकी महत्ता समझने के लिये हमें चिन्तन भी करना होगा

इनका महत्त्व इसलिये भी है ताकि मनुष्य अपने मरणधर्मा शरीर के सत्य और तथ्य को भी समझे अजरता अमरता का भी चिन्तन करे

कृष्ण अर्जुन को समझा रहें हैं कि देह और देही में अन्तर है


नैनं छिन्दन्ति शस्त्राणि नैनं दहति पावकः।


न चैनं क्लेदयन्त्यापो न शोषयति मारुतः।।2.23।।


यदि हम  लोग मानस गीता का अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन करें तो हमें व्याकुलता नहीं सतायेगी


हम स्वयं ही समाधानकर्ता हो जायेंगे


हमारा जन्म उस देश में हुआ है जहां हर समस्या का समाधान भी उपलब्ध है


किन्हीं कारणों से हम अध्यात्म और शौर्य का सामञ्जस्य नहीं कर सके इसलिये शौर्य प्रमंडित अध्यात्म अत्यन्त आवश्यक है