30.1.23

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का दिनांक 30 -01- 2023 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है गीःपति ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 30 -01- 2023 का  सदाचार संप्रेषण 

 

https://sadachar.yugbharti.in/


  *550 वां* सार -संक्षेप

1 विद्वान् पुरुष (गीष्पति, गीर्पति भी )



सौरज धीरज तेहि रथ चाका। सत्य सील दृढ़ ध्वजा पताका॥

बल बिबेक दम परहित घोरे। छमा कृपा समता रजु जोरे॥3॥


सखा धर्ममय अस रथ जाकें। जीतन कहँ न कतहुँ रिपु ताकें॥6॥

ऐसे धर्ममय रथ पर आरूढ़ होकर ताकि कोई शत्रु हमारे सामने टिक ही न सके , राष्ट्रोन्मुखी जीवन जीते हुए, समस्याओं का डटकर मुकाबला करते हुए हम अखंड भारत के उपासक अपने जीवन में आगे बढ़ें

इन सदाचार संप्रेषणों का मूल भाव यह है जहां हम संसारेतर चिन्तन में रत होते हैं अन्यथा दिन भर तो खीज रीझ बनी रहती है 

भगवान् राम की परिस्थितियां तो बहुत ही विषम थीं तब भी उन्हें विजय मिली क्योंकि वे कभी साधनों के पीछे नहीं भागे उन्होंने साधना का सहारा लिया

*जानता स्वर्णनगरी है यह*

*पर ओढ़े सीतारामी हूं*


हम युगभारती सदस्यों के साथ साथ इन सदाचार संप्रेषणों के अन्य श्रोताओं के बीच आत्मीयता का भाव परमात्मा की अद्भुत लीला और व्यवस्था है


ॐ सह नाववतु।

सह नौ भुनक्तु।

सह वीर्यं करवावहै।

तेजस्वि नावधीतमस्तु

मा विद्विषावहै।

ॐ शान्तिः! शान्तिः!! शान्तिः!!!-श्वेताश्वतर उपनिषद्


हमें सहयोग संगठन का उपक्रम लगातार करना है

अपने सनातन धर्म पर पूर्ण विश्वास रखते हुए रावणत्व पर  बिना भयभीत हुए गहरी दृष्टि रखें सावधानी रखें


अब सोइ जतन करहु तुम्ह ताता। देखौं नयन स्याम मृदु गाता॥

तब हनुमान राम पहिं जाई। जनकसुता कै कुसल सुनाई॥1॥


हम प्रवेश कर चुके हैं लंका कांड में

अंगद विभीषण और हनुमान जी सीता जी को लेने जाते हैं

बहु प्रकार भूषन पहिराए। सिबिका रुचिर साजि पुनि ल्याए॥

ता पर हरषि चढ़ी बैदेही। सुमिरि राम सुखधाम सनेही॥4॥

पालकी में बैठीं सीता जी खुश हैं जब कि विमान में  उस दुष्ट,जिसका वो काल बन गईं,के साथ बैठने पर दुःखी थीं


रामदल ने धैर्य की मूर्ति  मां सीता जी के प्रत्यक्ष दर्शन किये

आचार्य जी ने *सीता जी का अग्निप्रवेश*  हमारी समझ से परे इस अत्यन्त गूढ़ विषय की ओर संकेत किया

इस तत्त्व का स्पष्ट दर्शन अत्यन्त कठिन है