प्रस्तुत है गुहेर ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 01-02- 2023 का सदाचार संप्रेषण
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*552 वां* सार -संक्षेप
1 गुहेर =अभिभावक
हम लोग आज पुनः असीमित पवित्र भावनाओं के महायज्ञ दीनदयाल विद्यालय में आहुति डालने का सौभाग्य प्राप्त करने वाले आचार्य जी की सदाचार वेला में उपस्थित होकर हनुमान जी से दिशा दृष्टि प्राप्त करने के लिये भाव ग्रहण करेंगे
हम लोगों की इन वेलाओं में लगातार उत्सुकता बनी रहना ईश्वर की अद्भुत लीला है
श्रद्धा विश्वास रखकर हम ईश्वर के दर्शन कर सकते हैं
हम ज्ञान
(ज्ञानं तेऽहं सविज्ञानमिदं वक्ष्याम्यशेषतः।
यज्ज्ञात्वा नेह भूयोऽन्यज्ज्ञातव्यमवशिष्यते।।7.2।।)
प्राप्त करने की दिशा में चलें सहज भाव से अपनी शक्ति बुद्धि का प्रयोग कर श्रेय प्राप्त करने की दिशा में अग्रसर होने का हमें प्रयास करना चाहिये ज्ञान प्राप्त करने के बाद समृद्धि प्रभावित नहीं करती
ऐसा कर्म व्यवहार करें कि हमारी कीर्ति छाए
जैसा कर्म व्यवहार भगवान् राम ने किया हनुमान जी ने किया मां सीता जी ने किया
आइये चलते हैं उन्हीं की झलक पाने के लिये उनके सद्गुण ग्रहण करने के लिये
लंका कांड में
अग्नि में प्रवेश करते समय सीता जी कहती हैं
जौं मन बच क्रम मम उर माहीं। तजि रघुबीर आन गति नाहीं॥
तौ कृसानु सब कै गति जाना। मो कहुँ होउ श्रीखंड समाना॥4॥
देवता अब खुश हैं कि रावण का अन्त हो गया
जब जब होई धरम कै हानी। बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी॥
करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी। सीदहिं बिप्र धेनु सुर धरनी॥
तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा। हरहिं कृपानिधि सज्जन पीरा॥
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने दारा सिंह,गुरु जी,लोमश ऋषि का नाम क्यों लिया
देवताओं और आज के नेताओं में क्या समानता है जानने के लिये सुनें