अपनी संस्कृति-परिपाटी पर विश्वास करो
है व्यर्थ पश्चिमी दुनिया वाला चाकचिक्य,
संयम सिद्धांत साधना वाला जीवन ही
अनुभव करता रहता अपने में सब अधिक्य।
प्रस्तुत है ज्ञान -कुस्तुभ ¹आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज दिनांक 02-02- 2023 का सदाचार संप्रेषण
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*553 वां* सार -संक्षेप
1 ज्ञान -कुस्तुभ =ज्ञान का समुद्र
स्थान : कानपुर
शौर्य प्रमंडित अध्यात्म यही सिखाता है कि हमें भय और भ्रम से दूर रहना चाहिये हमें अपनी भारतीय संस्कृति पर, सनातन धर्म पर पूर्ण विश्वास करना चाहिये कोई भी व्यक्ति अपनी संतान में भय भ्रम नहीं देखना चाहता हम सभी आचार्य जी की बौद्धिक संतान हैं इसलिये हमें भय भ्रम दम्भ से दूर होकर विवेकी बनने का प्रयास करना चाहिये आचार्य जी प्रतिदिन हमारे धुंधले मार्ग को प्रकाशित करते हैं
हमें तो यही कहना है
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान । रसरी आवत-जात के, सिल पर परत निशान ।।
हमें बार बार इसी बात का ध्यान रखना है कि
वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः
मार्गदर्शक संरक्षक अभिभावक राष्ट्र भक्त तुलसीदास जी हमारे राष्ट्र को जगाने की वाणी थे वो देख रहे थे कि दुष्ट हिन्दू धर्म को समाप्त करने का कुचक्र रच रहे हैं
जो हिन्दू समाज को एक जुट करने का प्रयास कर रहा हो वो भ्रमित कैसे हो सकता है
किष्किंधा कांड में आता है
अब नाथ करि करुना बिलोकहु देहु जो बर मागऊँ।
जेहि जोनि जन्मौं कर्म बस तहँ राम पद अनुरागऊँ॥
तुलसी जी ने हिन्दुत्व की धारा को ऐसे समय में दिशा दी जब चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था उस समय भी रावण खर दूषण शूर्पणखा कुम्भकर्ण मौजूद थे आज भी हैं इन सबके अपने अपने लक्ष्य हैं
विद्वान को तो भ्रमित होना ही नहीं चाहिये युवा भ्रमित हो तो और चिन्ता की बात है
आचार्य जी ने परामर्श दिया कि
हमें नित्य उच्च स्वर में मानस का पाठ करना चाहिये
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया प्रशान्त बोडस भैया संदीप बोडस भैया मनीष कृष्णा भैया विभास का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें