20.8.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का भाद्रपद कृष्ण पक्ष प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 20 अगस्त 2024 का सदाचार सम्प्रेषण १११८ वां सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज भाद्रपद कृष्ण पक्ष  प्रतिपदा विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  20 अगस्त 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  १११८ वां सार -संक्षेप



जहां लक्ष्मी का अत्यधिक अंधकारमय पक्ष छा जाता है वहां मेधा व्याकुल विकुंठित और दिग्भ्रमित हो जाती है यही स्थिति अत्यन्त विद्वान् अद्वैत संप्रदाय के प्रधान आचार्य मधुसूदन सरस्वती की हुई 

इनका जन्म बांग्लादेश के फरीदपुर के निकट गोपालगंज जिले के वर्तमान कोटालीपारा डिवीजन में स्थित उनाशिया  गाँव में एक वैष्णव ब्राह्मण परिवार में हुआ था।

उस समय शाहजहां का शासन था


ये कृष्ण भक्त थे ऐसे ऐसे विद्वान् हर शासक के काल में हुए शासन मुगलों का चलता रहा अच्छे अच्छे लोग उन मुगल शासकों की जी हुजूरी करते रहे


एक कवि हुए कुम्भनदास उनको एक बार अकबर बादशाह के निमन्त्रण पर फतेहपुर सीकरी जाना पड़ा जहाँ इनका बड़ा सम्मान हुआ यद्यपि इसका इन्हें बराबर दुःख भी रहा जो इनके इस निम्नांकित पद से प्रकट भी होता है


संतन को कहा सीकरी सों काम ?

आवत जात पनहियाँ टूटी, बिसरि गयो हरि नाम।।

जिनको मुख देखे दुख उपजत, तिनको करिबे परी सलाम।।

कुम्भनदास लाल गिरिधर बिनु और सबै बेकाम।।



हम लोभ लाभ में फंसे रहे घर परिवार की दुहाई देते रहे 

हमारे देश में तो ऐसा समय भी था जब हम बुरा धन नहीं लेते थे और हम कहते थे हमारी संतानें हैं इस कारण यह धन हम नहीं लेंगे आज स्थितियां बदल गई हैं हम अब संतानों की खातिर ऐसा धन लेने में भी नहीं हिचकते यह समय का फेर भी हो सकता है लेकिन मतिभ्रम अधिक है


ऐसे समय में तूफानों में भी दिया जलाने का संकल्प लेना होगा


आचार्य जी ने समाज -धर्म की अनिवार्यता को स्पष्ट किया

 यदि कोई दुष्ट हमारे आत्मीय पर आघात कर रहा है तो उस समय हम पूजा तर्पण आदि नहीं करते रहेंगे हम पहले उसकी रक्षा करेंगे 

यह है समाज धर्म


इस आत्मबोध की हमें अत्यन्त आवश्यकता है इसी कारण आचार्य जी अध्यात्म को अनिवार्य तो बताते हैं लेकिन वास्तविक अध्यात्म वह है जो शौर्य प्रमंडित हो



हमें धनार्जन के लिए अध्ययन नहीं करना चाहिए अपितु ज्ञानार्जन के लिए अध्ययन करना चाहिए और ज्ञान ऐसा जो परिस्थितियों के अनुसार हमें दिशा और दृष्टि दे सके 

हर तरह की समस्याओं में हमारी भूमिका होनी चाहिए



इतिहास की गल्तियों से कई बार भूगोल बदले हैं हमारे देश का भूगोल भी बदला लेकिन अब हमें सचेत रहना चाहिए हमें शपथ लेनी होगी कि भूगोल न बदले हमें एकजुट होना होगा 

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने विद्यालय के ऊपर लेख के विषय में क्या कहा गद्य की रचना कैसे होती है सृष्टि कैसे बनी भैया प्रदीप श्रीवास्तव जी के विषय में क्या कहा  मन्त्र क्या हैं जानने के लिए सुनें