21.8.24

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 21 सितम्बर 2024 का सदाचार सम्प्रेषण *११५० वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज आश्विन कृष्ण पक्ष चतुर्थी विक्रमी संवत् २०८१  (कालयुक्त संवत्सर )  21 सितम्बर 2024  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *११५० वां* सार -संक्षेप


राम के आदर्श और गीता के ज्ञान को आत्मसात् करने के लिए संकल्पित अपनी आत्ममूर्तियों के दर्शन के सदैव इच्छुक अत्यन्त भावुक आचार्य जी सदाचारमय संस्कारमय विचारों द्वारा नित्य हमें प्रेरित करते हैं यह हमारा सौभाग्य है

आचार्य जी का प्रयास रहता है कि किसी विषय की *भौतिक प्राप्ति* न होने पर भी उस विषय के प्रति हम उत्साहित रहें हम सांसारिक उलझावों में फंसे न रहें 

आज से राष्ट्रीय अधिवेशन प्रारम्भ हो रहा है जिसका उद्देश्य भौतिक प्राप्ति नहीं है मानसिक संतोष और आत्मिक आनन्द की प्राप्ति इसका उद्देश्य है 

अधिवेशन में हमें संगठन का आनन्द मिलने वाला है वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए वचनबद्ध होने जा रहे हैं राष्ट्र संकट में है संपूर्ण जगत् का गुरुत्व धारण करने वाले जिस राष्ट्र ने संपूर्ण विश्व को आर्य बनाने का संकल्प लिया उसमें अनार्य लोग खूब तांडव मचाते रहे उस राष्ट्र के आर्य अपने आर्यत्व को बचाने के लिए छिपते घूमते रहे आज भी यही स्थिति है

हम स्वयं भी संकल्पित हैं कि संपूर्ण विश्व को आर्य बनाने में गायत्री और सावित्री के उपासक हम सफल होंगे गहरे अंधेरे को मिटाने में सफल होंगे दीनदयाल जी के विचारों को साधना को सिद्धि तक पहुंचाने जा रहे हैं 

हमारे चार आयाम हैं शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन और सुरक्षा जिन पर हम चर्चा करने जा रहे हैं जिसमें शिक्षा मूल है और शेष इसकी शाखाएं 

हमारी शिक्षा को ही मलिन किया जिसके कारण आज यह दशा है इस कारण शिक्षा पर चिन्तन अत्यन्त आवश्यक है 


इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने अधिवेशन में और क्या सावधानियां बरतने के लिए कहा आदि जानने के लिए सुनें