1.1.25

आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का पौष शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१ (कालयुक्त संवत्सर ) 1 जनवरी 2025 का सदाचार सम्प्रेषण *१२५२ वां* सार -संक्षेप

 प्रस्तुत है आचार्य श्री ओम शङ्कर जी का आज पौष शुक्ल पक्ष द्वितीया विक्रमी संवत् २०८१  तदनुसार 1 जनवरी 2025  का  सदाचार सम्प्रेषण 

  *१२५२ वां* सार -संक्षेप

ये सदाचार संप्रेषण हम लोगों पर अद्भुत प्रभाव छोड़ रहे हैं हमारे लिए अत्यन्त कल्याणकारी और उपयोगी सिद्ध हो रहे हैं हमारे भय भ्रम वेदना को दूर कर शान्ति की अनुभूति करा रहे हैं हमें ऋषित्व का अनुभव करा रहे हैं  हमारे विकासशील संयमशील शक्तिमय तत्त्व को महसूस करा रहे हैं आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हमारा संकल्प संसार से आच्छादित न हो पाए हम शान्ति और आनन्द की अनुभूति कराने वाली सहजता धारण कर सकें 

ऋषियों की बहुतायत वाला यह अदृश्य शक्ति द्वारा सुरक्षित  हमारा भारतवर्ष अद्भुत देश है 


*हमारे देश की धरती गगन जल सभी पावन हैं* 

*सभी  सुन्दर सलोने शान्त सुरभित मञ्जु भावन हैं*

*यहां पर जो रमा मन बुद्धि आत्मिक अतल की गहराई से* 

*उसको लगा करती धरा माता और सुजन सब भाई से*

*पर सिर्फ धन की प्राप्ति जिनका जन्मजात स्वभाव है* 

*उनको सदा दिखता यहां सर्वत्र अमित अभाव है*



हम अनेक जातियों को, विचारों को,रीतिरिवाजों को आत्मसात् करते रहे हैं जैसे आज ईसाई नववर्ष प्रारम्भ हो गया है किन्तु हमने अपने राष्ट्र की संस्कृति विश्वास विचार को विस्मृत न करते हुए परिस्थितियों से अनेक बार संघर्ष किया है अब भी कर रहे हैं हमें संकट दिखते हैं फिर भी हम स्मरण करते हैं विश्वास करते हैं अनुभूति करते हैं कि चिदानन्द रूपः शिवोऽहं शिवोऽहम्

लेकिन इसे शैथिल्य नहीं कह सकते यह निस्पृह निर्द्वन्द्व रहते हुए सुख-दुख राग-द्वेष से दूर कर्मानुरागी धर्मानुरागी जीवन की भूमिका है


इसके अतिरिक्त बबूल कौन नहीं झुका पाया भैया पवन रामपुरिया जी भैया ऋषीन्द्र जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया भैया सपन कुमार २००० के पिता जी श्री सुभाष चन्द्र दुबे जी (भरथना इटावा ) का कौन सा प्रसंग आया, शिक्षाविभाग के सेवानिवृत्त अधिकारी श्री हरि शंकर शर्मा जी किसके नाम के आगे जी नहीं लगाते थे जानने के लिए सुनें