30.8.25

प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८२ तदनुसार 30 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण *१४९३ वां* सार -संक्षेप स्थान : सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कालेज, सिविल लाइंस, उन्नाव

 प्रस्तुत है *आचार्य श्री ओम शङ्कर जी* का आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष सप्तमी विक्रमी संवत् २०८२  तदनुसार  30 अगस्त 2025 का सदाचार संप्रेषण

  *१४९३ वां* सार -संक्षेप


स्थान : सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कालेज, सिविल लाइंस, उन्नाव


हमारी युगभारती संस्था, राष्ट्र की आध्यात्मिक चेतना को जाग्रत रखने हेतु, शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वावलम्बन एवं सुरक्षा—इन चार आधारशिलाओं पर गहन चिन्तन, मनन, मन्थन एवं विचारण करती है। इन स्तम्भों के माध्यम से यह संस्था विविध आयोजनों का संचालन करती है, जिनका उद्देश्य समाज में समरसता, आत्मनिर्भरता एवं सशक्तीकरण की भावना का संचार करना है।

हमारी संस्था, सनातन धर्म की परम्परा को जीवित एवं जाग्रत रखने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर रही है। यद्यपि यह भूमिका सीमित प्रतीत हो सकती है, तथापि इसके प्रयासों में निष्ठा, समर्पण एवं सतत साधना का समावेश है।


यह हमारा सौभाग्य है कि सनातन धर्म, समय-समय पर अनेक झंझावातों, आक्रमणों एवं सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों के होने पर भी, कभी भी पूर्णतः लुप्त नहीं हुआ। इसकी जीवन्तता, इसकी आत्मा में निहित सत्य, धर्म एवं करुणा के सिद्धान्तों के कारण है, जो युगों-युगों से मानवता को आलोकित करते रहे हैं।


युगभारती के हम सदस्यों, जिन्हें आचार्य जी नित्य प्रेरित करते हैं ताकि परमात्मा की उपस्थिति हम अपने भीतर अवश्य अनुभव करते रहें और हम कुंठित न हों  साथ ही जो अपनी प्राणिक ऊर्जा समर्पित करते रहते हैं, के प्रयास, इस सनातन परम्परा को सुनिश्चित कर रहे हैं, जिससे यह परम्परा आने वाली पीढ़ियों तक अक्षुण्ण बनी रहेगी


आचार्य जी ने  बताया कि कवित्व की प्रतिभा सबको नहीं मिलती और साथ ही आचार्य जी ने सरस्वती विद्या मन्दिर इंटर कालेज, सिविल लाइंस, उन्नाव के परिवेश,पर्यावरण  और त्रिदिवसीय वार्षिक अधिवेशन  जिसका आज अन्तिम दिन है का उल्लेख भी किया

क्या चीज जयशंकर प्रसाद, महादेवी वर्मा, मैथिलीशरण गुप्त में कम थी और सुमित्रानन्दन पंत में अधिक थी, वार्षिक अधिवेशन के लिए क्या परामर्श आचार्य जी ने दिया जानने के लिए सुनें