समय समय पर होत है
समय समय की बात
किसी समय का दिन बड़ा
किसी समय की रात
कभी किसी का दिन बड़ा
कभी किसी की रात
राम जन्म का दिन बड़ा
कृष्ण जन्म की रात
स्वयं दिखाई नही है देता
पर सब कुछ दिखलाता
अपना और पराया सबको
यही समय बतलाता
जिसके पास अधिक है उससे
नही है काटा जाता
जिसे चाहिए उसे यह कभी नही
मिल पाता
किन्तु सत्य है जो भी इसका
करता है सम्मान
समय बना देता है उसके सारे बिगड़े काम
इससे प्रेरित होकर हम लोग अपने समय का सदुपयोग करने के लिए आइये सुनते हैं आज दिनांक 03/01/2022
का सव्येष्ठ आचार्य श्री ओम शंकर जी का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
https://t.me/prav353
आज के सदाचार संप्रेषण में आचार्य जी के मन में सांसारिकता के साथ सदाचार के संयोजन का भाव आया है
इस समय पढ़े लिखे लोगों के मन में उथल पुथल है कि सरकार किसकी बनेगी
गांव आदि में भी इसकी चर्चा चलती है अर्धशिक्षित लोग भीड़ का अंग बन जाते हैं
जाग्रत सक्रिय क्रियाशील देश संघर्ष के साथ सदैव संयुक्त रहते हैं
संघर्ष वैचारिक, व्यावहारिक, शारीरिक, सामाजिक या अध्यात्म की प्राप्ति का भी हो सकता है
संघर्ष मनुष्य का स्वभाव है
संघर्षण आग जलाने के लिए भी हो सकता है और आग बुझाने के लिए भी हो सकता है
हम लोगों का संघर्ष जिनके साथ है वो हमारे धर्म के विरोधी हैं
हमारा धर्म सन्मार्ग का प्रथम उपदेश और उन्नति का नियम है जिसमें कोई विकार नहीं है हमारा मार्ग सुस्पष्ट है और गन्तव्य है संसार की समस्याओं को सुलझाते हुए मोक्ष
आचार्य जी ने संयम और संस्कार को स्पष्ट किया
यतो अभ्युदय निःश्रेयससिद्धिः स धर्मः। (कणाद, वैशेषिकसूत्र, १.१.२)
की व्याख्या करते हुए बताया कि ऐसा धर्म तमाम विघ्न बाधाओं से उलझते हुए
अन्य से टक्कर लेने लगा
अनलहक
(एक अरबी पद जो अहं ब्रह्मास्मि का वाचक है और जिसका अर्थ है मैं ही ब्रह्म या ईश्वर हूँ।)
के लिए " ईरान के मशहूर सूफ़ी संत मंसूर बिन अलहल्लाज को सूली पर चढ़ा दिया गया। आचार्य जी ने वह कथा बताई कि पत्थरों के विपरीत फूल मारने पर वह क्यों रोने लगा
संसार का जानना और मानना दुरूह विषय है अध्यात्म यही है
अपने अन्दर यही प्रवेश कर जाए तो आनन्द की सीमा नहीं
विचार और विकार मिल नहीं सकते
जो हमारे धर्म के विरोधी हैं उनसे सचेत रहें
हमारा संगठन विनाश के लिए नहीं विकास के लिए है
इसका ध्यान रखें और भारत मां की सेवा में रत रहें