प्रस्तुत है अनन्यचेतस् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 05/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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गहनता की ओर उन्मुख नित्य की इस सदाचार वेला को हम मात्र सुनने तक ही सीमित न रखें अपितु इसके मूल विषय को खोजकर चिन्तन भी करें
रशिया यूक्रेन युद्ध, उ प्र चुनाव की ओर संकेत करते हुए आचार्य जी ने बताया कि कुछ लोगों का चिन्तन व्यापक न होकर सीमित हो जाता है जिसके कारण वे भ्रमित रहते हैं और मनुष्यत्व उनसे कोसों दूर रहता है
आचार्य जी ने रशिया यूक्रेन युद्ध और महाभारत युद्ध में अन्तर बताया l महाभारत में युद्धभूमि ऐसे स्थान पर तय की गई थी जहां केवल युद्धरत व्यक्तियों ने ही विजय पराजय का भोग भोगा l बालक, वृद्ध,स्त्री, रोगी आदि युद्ध से दूर थे
अठारह दिन बाद जब युद्ध समाप्त हुआ उसके बाद का महाभारत भी पढ़ने वाला है
सृष्टि में धर्म का पतन होता ही है लेकिन फिर
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4.8।।
मनुष्य और ईश्वर का संबंध बहुत पहले से ही एक ही मानवीय भूमि पर प्रतिष्ठित है जहां एक का उत्क्रमण होता है दूसरे का अवतरण होता है
अवतार का क्षेत्र बहुत व्यापक है
एक ही भावभूमि पर उद्भूत होने के कारण भगवान् और भक्त में एकरूपता दिखाई देती है
अपने उपास्य पर साधक का अधिक से अधिक भावारोपण होता है
योगी मूलाधार,स्वाधिष्ठान,मणिपुर ,अनाहत,विशुद्ध,आज्ञा, सहस्रार चक्र तक की यात्रा करते हैं भक्त अश्रुपात करते हैं विवेचक अनुसंधान में रत हो जाते हैं
मार्ग अनेक हैं गंतव्य एक है
यह हमारे यहां की शिक्षा का आधारभूत तत्त्व रहा है
इस तरह की शिक्षा हमें स्वावलम्बी बनाती है दूसरे को संरक्षण प्रदान करने का भाव उत्पन्न करती है आत्मानुसंधान के लिये प्रेरित करती है और आनन्द की अनुभूति देती है
हममें से प्रत्येक व्यक्ति राष्ट्र -सेवा कर सकता है लोगों को अपने भाव, विचार, ज्ञान -गरिमा से विषम परिस्थितियों में हौसला दे सकता है
संकट का समय हमारी परीक्षा लेकर यह प्रकट कर देता है कि हम कौन हैं
EMERGENCY से भारत उबर गया
और संकटों से उबर ही जायेगा
यह उथल पुथल उत्ताल लहर पथ से न डिगाने पाएगी।
पतवार चलाते जाएंगे, मंजिल आएगी आएगी।
लहरों की गिनती क्या करना, कायर करते हैं करने दो,
तूफानों से सहमें हैं जो, पल-पल मरते हैं मरने दो।
चिर नूतन पावन बीज लिए, मनु की नौका तिर जाएगी।।1।।
मंजिल आएगी आएगी ………।
यह विश्वास हमें नहीं त्यागना चाहिये इसके लिये अध्ययन स्वाध्याय चिन्तन मनन आवश्यक है