प्रस्तुत है अनन्यहृदय आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 09/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें यूक्रेन से लौटे संस्कारविहीन छात्रों के सामने केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी हाथ जोड़े खड़े हैं l
यह अत्यन्त कष्टकारी है जब कि भारत सरकार ने तो अपनी तत्परता दिखाई संवेदनशीलता का नमूना पेश किया
हमारा मानस इस तरह का हो गया है कि हमें विदेश स्वर्ग लगता है और हमारे यहां की संस्कृति कहती है
पञ्चमेऽहनि षष्ठे वा शाकं पचति स्वे गृहे ।
अनृणी चाप्रवासी च स वारिचर मोदते ।।१५।।
जो व्यक्ति पांचवें,छठे दिन ही सही, अपने घर में सब्जी पकाकर खाता है, जिस पर किसी का ऋण नहीं है और जिसे विदेश में नहीं रहना पड़ता है, वह सुखी है ।
यक्ष युधिष्ठिर संवाद वनपर्व अध्याय 312/313
ऋण कई तरह के होते हैं संस्कारों का भी ऋण होता है
हमारे यहां संस्कार का बहुत महत्त्व है
जन्मना जायते शूद्रः संस्काराद् द्विज उच्यते।
वेदपाठाद् भवेद् विप्रः ब्रह्म जानाति ब्राह्मणः।।
मेदिनीकोशः (संस्कृत का एक कोश है), जिसकी रचना चौदहवीं शताब्दी में मेदिनिकर ने की, के अनुसार संस्कार का अर्थ है अनुभव, मानस कर्म
हमारे यहां बचपन के संस्कार बहुत विशाल संपदा हैं जिसके कारण ही हम समय पर सही निर्णय लेने वाले बने
गुरु के रूप में हमारी प्रतिष्ठा इसी कारण विश्व में हुई
आत्मबोध के साथ अपना राष्ट्रबोध भी जाग्रत हो परमात्मा हर जगह विद्यमान है यह अनुभूति करें तब हमें परमात्मा पर विश्वास होता है परमात्मा पर विश्वास का अर्थ ही है आत्मविश्वास
तब हम शरीर नहीं रहते शरीरी हो जाते हैं
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मनीष कृष्णा से संबन्धित कौन सा प्रसंग सुनाया आदि जानने के लिये सुनें