हम लाए हैं तूफान से किश्ती निकाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
तुम ही भविष्य हो मेरे भारत विशाल के
इस देश को रखना मेरे बच्चों संभाल के
प्रस्तुत है परिमितकथ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 11/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in
https://t.me/prav353
कल घोषित हुए चुनाव परिणामों की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने कहा विजेता प्रतिनिधियों का अब कर्तव्य है कि धन्यवाद देने के लिये और एक व्यवस्थित व्यवस्था स्थापित करने के लिये पुनः अपने क्षेत्रों का दौरा करें वो अपना तरीका बदलें
लोकतन्त्र में पूरा समाज स्वस्थ रहे इसकी व्यवस्था होनी चाहिये
सुविधाभोगी होने के कारण जीते हुए प्रत्याशियों के साथ दूसरी पार्टी के लोग भी चल देते हैं और इसका कारण होता है स्वार्थ
यद्यपि स्वार्थ व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ता है लेकिन स्वार्थ यदि विकृत है तो यह कटुता को जन्म देता है
स्वार्थ उतना ही हो जिससे संबंधियों के साथ प्रेम और लगाव कम न हो
हम इस धरती पर जन्मे है इसको सजाना संवारना हमारा काम है
गायन्ति देवा: किल गीतकानि धन्यास्तु ते भारत भूमि भागे ।
स्वर्गापवर्गास्पद हेतुभूते भवन्ति भूय: पुरुषा: सुरत्वात ॥
विष्णुपुराण
भगवान् कृष्ण ने संकटकाल में अर्जुन को समझाया है
बुद्ध्या विशुद्धया युक्तो धृत्याऽऽत्मानं नियम्य च।
शब्दादीन् विषयांस्त्यक्त्वा रागद्वेषौ व्युदस्य च।।18.51।।
विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः।
ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः।।18.52।।
अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते।।18.53।।
शुद्ध बुद्धि से युक्त, धृति द्वारा आत्म को संयमित कर, शब्दादि विषय त्याग कर एवं राग-द्वेष का परित्याग कर,एकान्त का सेवन करने वाला, कम उपभोग करने वाला शरीर मन वाणी को काबू में करके ध्यानयोग का अभ्यासी और वैराग्य का आश्रित
अहंकार, बल, दर्प, काम, क्रोध , परिग्रह त्याग कर ममत्वभाव से दूर एवं शान्त पुरुष ब्रह्म प्राप्ति का योग्य बन जाता है।
हम लोग संसार के अंधकार में प्रकाश करने की चेष्टा करते हैं वास्तविक इतिहास से हमें परिचित कराने में कुछ लोग जुटे हैं कुछ साहित्य में जुटे हैं हमारी अच्छी बातें कुण्ठित न हों इसके लिये हमें प्रतिष्ठा भी मिलनी चाहिये
प्रयत्नशील लोगों को अकेला न छोड़ें
नई पीढ़ी को संस्कार दें युगभारती का यह धर्म है
आपका प्रकाश दूसरों को मार्ग दिखाये