14.3.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 14/03/2022 का सदाचार संप्रेषण

 सांझ उतर आयी मन की अभिलाष न पूरी है

कोई   चन्द्रगुप्त   गढ़ने  की  साध   अधूरी है


प्रस्तुत है रोहि आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 14/03/2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




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अद्भुत वाणी के स्यन्दन पर  आरूढ़ आचार्य जी पूर्व निर्धारित विषय न होने पर भी हम लोगों को मार्गदर्शन देने की विलक्षण क्षमता रखते हैं


आत्म से निःसृत दृष्टि सृष्टि रच देती है कल की सदाचार वेला से हम आचार्यजी के शिष्यों की संवेदनाएं झंकृत हो गई थीं

संवेदनशील व्यक्तियों को संवेदनाएं प्रभावित करती रहती हैं और वो लोग व्यथा और आनन्द की अनुभूति करते रहते हैं


कल हम लोगों के गांव सरौंहां  में एक महिला गोलोकवासी हो गई  और उस महिला पर एक उपन्यास तक लिखा जा सकता है

प्रपंचों से भरे इस जगत् में ऐसा ही है कि जब साक्षात् जीवन घूम रहा था वो उपेक्षित रहा हम लोग कल्पना की पूजा करते हैं और यथार्थ की उपेक्षा करते हैं


We are living in such a world, Where Artificial Lemon flavour is used for " Welcome Drink" and real lemon is used in " Finger Bowl".


जीवन एक COLLAGE है

कहने का तात्पर्य है उपन्यास के रूप में कल्पना की एक पृष्ठभूमि बना दी गई इसी तरह परमात्मा के बने इस नाट्य मंच पर हम लोग  भी मंचन करते रहते हैं

आचार्य जी ने विद्यालय की पृष्ठभूमि की चर्चा करते हुए बताया कि दीनदयाल जी जब तक जीवित थे तो उनकी समीक्षा होती रही और फिर उनकी स्मृति में संस्थाएं बनती गईं

आचार्य जी ने अपने काव्य संग्रह  गीत मैं लिखता नहीं हूं के पृष्ठ 97/98 पर लिखी कविता का पाठ किया


सांझ उतर आयी मन की अभिलाष न पूरी है

कोई   चन्द्रगुप्त   गढ़ने  की  साध   अधूरी है


उस स्रष्टा की सृष्टि को पहचानने का हम लोगों को प्रयास करना चाहिये