प्रस्तुत है प्रज्ञात आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 17/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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हमें ऐसे चलचित्रों को प्रोत्साहित करना चाहिये जिनका उद्देश्य केवल मनोरञ्जन न होकर शिक्षा,संस्कार आदि का होता है
अधिकांश चलचित्रों का उद्देश्य मनोरञ्जन होता है लेकिन कुछ चलचित्र ऐसे भी होते हैं जो एक विशिष्ट संदेश देते हैं इसी तरह का एक चलचित्र है द कश्मीर फाइल्स जो 1990 में कश्मीरी पंडितों द्वारा सहे गए क्रूर कष्टों का आख्यान है
इसे देखने के लिये अपार भीड़ उमड़ रही है
आर्यत्व भारतीयत्व सनातनत्व का उत्साह हिलोरें ले रहा है
इन हिलोरों का उपयोग भी होना चाहिये हमारा आवेग आक्रोश आवेश ऊर्जा में परिवर्तित हो जाये इसकी विधि व्यवस्था हो
रामलीला का मंचन बहुत लम्बे समय से हो रहा है जो विजय का संदेश,शौर्य का उभार, संगठन का कौशल और समस्याओं का समाधान है
द कश्मीर फाइल्स की तरह हरिसिंह नलवा, महाराजा रणजीत सिंह, गुरु गोविन्द सिंह,बन्दा बैरागी, महाराणा प्रताप के सच्चे स्वरूपों को दिखाते चलचित्र भी बनने चाहिये
आचार्य जी ने गरीबी पर जून 2015 में एक कविता लिखी थी
गरीबी गांव का अभ्यास शहरों की समस्या है
गरीबी कर्महीनों को बिना फल की तपस्या है...
इसके अन्त में संदेश है कि पुरुषार्थी कभी गरीब नहीं होता है
विश्व में भारत के प्रभाव को बढ़ाने के लिये हम लोग सदैव प्रयत्नशील रहें
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया शशि शर्मा का भैया पुनीत श्रीवास्तव का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें