प्रस्तुत है शुचिषद् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 20/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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यदि हम लोग परस्पर एक दूसरे का उत्साह बढ़ाते हैं तो इसे परमात्मा द्वारा अधिकतर मानवों को दी गई बहुत अद्भुत उपलब्धि कही जायेगी
हम युगभारती परिवार के सदस्यों को भी सदैव यही प्रयास करना चाहिये कि वो एक दूसरे का उत्साह बढ़ाएं
गीता में
निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा
अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञै
र्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्।।15.5।।
मान और मोह दोनों चीजें व्यथित करती हैं मान और मोह दोनों का शमन करने के लिये हमें सदैव प्रयत्नशील रहना चाहिये
मेरे किसी कार्यव्यवहार से आगे आने वाली पीढ़ी लांछित न हो इस बात का हमें ध्यान देना होगा
खानपान में भी पतित न हों
भ्रष्ट न हों
स्थानभ्रष्टा न शोभन्ते दन्ताः केशा नखा नराः ।
मनुष्य का स्थानभ्रष्टत्व यही है यदि उसके कारण दूसरा लांछित हो जाये
हमारा चिन्तन दूषित हो गया इस कारण अपने काम को पूरी प्रामाणिकता से न कर दूसरों को दोषी ठहराना हमारा शगल बन गया
इस बार वासंतिक नवरात्रि 02 अप्रैल 2022, शनिवार से शुरू होकर 11 अप्रैल 2022, सोमवार तक है। इसी उपलक्ष्य में 6अप्रैल को हम लोगों के गांव सरौंहां में मेला है
यह काम हम लोग नहीं कर रहे हैं यह सब परमात्मा हम लोगों से करवा रहा है और जब यह भाव मन में आ जाता है तो हमारा अहंकार दूर हो जाता है
यह मेरा यह तेरा यह जिला मेरा यह प्रदेश मेरा यह भवन मेरा ऐसा किसी भी तरह का विभाजन मिथ्या धारणाओं से भरा है जब मनुष्य इस तरह की भ्रान्त धारणाओं से मुक्त हो जाता है तो वह पारिवारिक सामाजिक राष्ट्रीय स्नेह से उत्पन्न कुसंगतियों से मुक्त हो जाता है