प्रस्तुत है महत्तर आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 21/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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श्री रामचरित मानस, हनुमान चालीसा,दुर्गा सप्तशती, हनुमान बाहुक आदि ग्रंथ अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं l
वृद्धावस्था में तुलसीदास की भुजाओं में बहुत दर्द हो गया कोई उपचार कारगर नहीं हुआ, अपितु रोग बढ़ता ही गया तो अंत में असहनीय कष्टों से हताश होकर तुलसीदास जी ने हनुमान जी की शरण ली और रोग के निवारण के लिये तुलसीदास जी ने उनसे प्रार्थना की तथा विनती करने के लिए हनुमानबाहुक की रचना की।
आपने ही पाप तें त्रिपात तें कि साप तें, बढ़ी है बाँह बेदन कही न सहि जाति है ।
औषध अनेक जन्त्र मन्त्र टोटकादि किये, बादि भये देवता मनाये अधिकाति है ।।
करतार, भरतार, हरतार, कर्म काल, को है जगजाल जो न मानत इताति है ।
चेरो तेरो तुलसी तू मेरो कह्यो राम दूत, ढील तेरी बीर मोहि पीर तें पिराति है ।।३०।।
हनुमान बाहुक में 2 छप्पय,1झूलना,5 सवैया और 36 घनाक्षरी कुल 44छंद हैं
प्रभु हनुमान जी की कृपा से शीघ्र ही वे रोग मुक्त होकर पूर्णतः स्वस्थ हो गए।
कुछ लोग हनुमान बाहुक का नित्य पाठ करते हैं जप करते समय ध्यान कहीं और हो तो भी फल मिलता है लेकिन देर से l
ध्यान अद्भुत चीज है हमारे यहां चिकित्सा शास्त्र में अष्टांग योग
(1) यम (2)नियम (3)आसन (4) प्राणायाम (5)प्रत्याहार (6)धारणा (7) ध्यान (8)समाधि
अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है
इनका हमें ज्ञान हो, फिर भान हो और फिर अनुमान हो कि हम कितना कर सकते हैं कैसे कर सकते हैं तो हम समस्याओं, कष्टों, व्याधियों का निर्मूलन अपने आप करने में सक्षम हो सकते हैं
नित्य अपने शरीर पर प्रयोग करें तो हमारे अन्दर शक्ति बुद्धि क्षमता आयेगी और हम अपने परिवार, समाज की समस्याओं को हल करने का आधार बनेंगे और हमें संतोष भी मिलेगा