प्रस्तुत है समयज्ञ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 23/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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स्थान :उन्नाव
विश्वयुद्ध की आशंका,कोरोना की संभावनाएं , पंजाब की कुशंकाएं, बंगाल में अत्याचार, महंगाई की मार, उत्तर प्रदेश में उथल पुथल, स्वार्थ में रत जनप्रतिनिधि,विश्व में भारत का बढ़ता प्रभाव, सुदृढ़ नेतृत्व आदि का एक शबल चित्र (COLLAGE) सभी संवेदनशील समझदार पढ़ने लिखने वाले लोगों के सामने बन जाता है
लेकिन ऐसी परिस्थिति में हम युगभारती के सदस्यों के मन बुद्धि विचार को सुसंगत, समाजोन्मुखी, संयत, प्रभावशाली बनाने के लिए वर्षों से आचार्य जी प्रयासरत हैं
इस तरह की अद्वितीय सदाचार वेला से दूर बैठकर प्रेरित करने का यह प्रयोग कितना सफल है कितना असफल है इसके लिये चिन्तित नहीं होना चाहिये क्योंकि
श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।
स्वभावनियतं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्।।18.47।।
ठीक प्रकार से अनुष्ठित परधर्म की अपेक्षा गुणहीन स्वधर्म श्रेष्ठ है क्योंकि स्वभाव से नियत किये गये कर्म को करते हुए मनुष्य पाप को प्राप्त नहीं करता।
सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।
सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।
कोई भी काम करेंगे तो गड़बड़ियां रह सकती हैं लेकिन उस कारण काम को त्यागना नहीं चाहिये यह शरीर कर्मानुरागी बना रहे इसका ध्यान रखना चाहिये और हमें अपनी संचित संगठित शक्ति का उचित समय पर प्रयोग करने का भी प्रयास करना चाहिये