तुमको कितनी बार.. जगाया तुमको कितनी बार
तुमको कितनी बार...... जगाया तुमको कितनी बार
प्रस्तुत है
श्लथोद्यमारि आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 25/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
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मनुष्य के शरीर लगभग एक जैसे दिखते हैं लेकिन उनके स्वभाव अलग अलग होते हैं
हम लोग स्वरूप स्वभाव स्वकर्तव्य का संयुत रूप धारण करके यश की कामना करते हुए इस संसार में अपने क्रिया व्यापार में संलग्न हैं
कृण्वन्तो विश्वमार्यम् भारतवर्ष की ही यह धारणा है हम लोग सहअस्तित्व में विश्वास करते हैं
दूसरी ओर हम रूस यूक्रेन के बीच युद्ध को देख रहे हैं
भारतवर्ष के संघर्षकाल में एक आंदोलन था अहिंसावादी आंदोलन उसने संपूर्ण देश की जवानी को नपुंसक बना दिया
अर्जुन भी इसी तरह मोहग्रस्त हो गये
तं तथा कृपयाऽविष्टमश्रुपूर्णाकुलेक्षणम्।
विषीदन्तमिदं वाक्यमुवाच मधुसूदनः।।2.1।।
तो
कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।।2.2।।
क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप।।2.3।।
हे अर्जुन कायर मत बनो। तुम्हारे लिये यह अशोभनीय है
हृदय की क्षुद्र दुर्बलता को त्यागकर खड़े हो जाओ।।
इसी तरह अब समय आ गया है कि भारतीय तत्त्व को जगाया जाए हम कायरता का त्याग करें सुख सुविधा न देखें
गीता हमें बताती है कि ज्ञान वैराग्य के साथ पुरुषार्थ कैसे किया जाए