निर्मानमोहा जितसङ्गदोषा
अध्यात्मनित्या विनिवृत्तकामाः।
द्वन्द्वैर्विमुक्ताः सुखदुःखसंज्ञै
र्गच्छन्त्यमूढाः पदमव्ययं तत्।।15.5।।
प्रस्तुत है विजिगीषु आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 28/03/2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1
हम युगभारती के सदस्यों के क्रिया -कलापों के प्रति आचार्य जी की जिज्ञासा बहुत प्रबल रहती है इसलिये प्रयासपूर्वक हमें अपने क्रिया -कलापों की जानकारी आचार्य जी को समय समय पर देते रहना चाहिये
हम शौर्ययुत थे कुछ कारणों से शौर्ययुत नहीं रहे लेकिन हमें शौर्ययुत होना ही चाहिये इस संसार के सृजन से लेकर प्रलय तक का चिन्तन करते हैं हम विचारशील हैं चिन्तनशील हैं परममोक्ष हमारा लक्ष्य है हम भारतीय हैं
हमें अपने राष्ट्र धर्म के प्रति जाग्रत रहना चाहिये इसके लिये आचार्य जी ने अपनी लिखी एक कविता सुनाई
जागो भारत जागो महान
यही कविता हम पूर्व के संप्रेषणों (8/8/21 13:38 से.. और 21/12/21 11:36 से..... आदि) में भी सुन सकते हैं