31.3.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 31/03/2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है विबुध आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 31/03/2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


इस समय हम सबका भविष्य  बहुत अच्छा नहीं है इसलिये हनुमत भक्ति हमें बहुत सहारा देगी

शिवाजी को ‘जाणता राजा’ कहने वाले समर्थ गुरु रामदास (  मूल नाम 'नारायण सूर्याजी पंत कुलकर्णी "ठोसर "  ) ने भी हनुमत भक्ति पर बहुत जोर दिया था


दासबोध मराठी संत-साहित्य का एक प्रमुख ग्रंथ है। इसकी रचना  श्री समर्थ रामदास ने ही की। इस ग्रंथ का महाराष्ट्र में बहुत अधिक सम्मान है। हम लोग श्रीरामचरित मानस को जितने आदर की दृष्टि से देखते हैं उतने ही आदर की दृष्टि से मराठी जानने वाले दासबोध को देखते हैं। महाराष्ट्र का व्यक्तित्व गढ़ने में इस ग्रंथ का  बहुत महत्त्व  है।




सांसारिक प्रपंचों से हम सबका वास्ता  पड़ता है इसलिये हम गीता के अठारहवें अध्याय का बार बार पारायण करें


इसके 48 से 54 तक के छन्दों का बार -बार अभ्यास करें


सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।


सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।


असक्तबुद्धिः सर्वत्र जितात्मा विगतस्पृहः।


नैष्कर्म्यसिद्धिं परमां संन्यासेनाधिगच्छति।।18.49।।


सिद्धिं प्राप्तो यथा ब्रह्म तथाप्नोति निबोध मे।


समासेनैव कौन्तेय निष्ठा ज्ञानस्य या परा।।18.50।।


बुद्ध्या विशुद्धया युक्तो धृत्याऽऽत्मानं नियम्य च।


शब्दादीन् विषयांस्त्यक्त्वा रागद्वेषौ व्युदस्य च।।18.51।।


विविक्तसेवी लघ्वाशी यतवाक्कायमानसः।


ध्यानयोगपरो नित्यं वैराग्यं समुपाश्रितः।।18.52।।


अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।


विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते।।18.53।।


ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति।


समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम्।।18.54।।



सामान्य कदमों को रखते हुए बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ें

नई पीढ़ी इस समय भ्रमित है वह धन के लिये तो लालायित  है लेकिन शान्ति का अभाव है  

शान्ति  तभी मिलेगी जब हम लोगों के साथ वो भी अध्ययन, स्वाध्याय, चिन्तन, मनन, आत्म - मन्थन, निदिध्यासन  हेतु ध्यान देगी