हम शक्ति शौर्य संकल्प पराक्रम से अभिमंत्रित हों,
आवेग अपार धार कर अपने आप नियंत्रित हों।
प्रस्तुत है वशिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 10अप्रैल 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1
विकलांग समाज समस्याओं से हमेशा जूझता रहता है
हमारे समाज में यह रोग छठी सातवीं शताब्दी से चल रहा है
इस विकलांगता को समाप्त करने के प्रयास चलते रहे
फिर संघर्षकाल में राजनैतिक कुचक्र शुरु हुआ
यह समाज इतने लंबे समय से संघर्षशील रहते हुए भी जीवित है जाग्रत है और उठने पर दिशा दृष्टि भी दे देता है यही आत्मबोध है यही आत्मबोध जब जाग्रत होता है तो वैदिक ज्ञान हमारे अन्दर से प्रबुद्ध हो जाता है
आचार्य जी ने शारीरक आत्मा और विभु आत्मा में अन्तर बताया
इसी उद्भूत हुए वैदिक ज्ञान में उठते प्रश्न और उनके उत्तर अध्यात्म- चिन्तन है
वेदांग आदि ज्ञान के अङ्ग प्राप्त करने के लिये आसपास शान्ति होनी चाहिये प्राकृतिक अनुकूल वातावरण होना चाहिये
परमात्मा और प्रकृति ने तो हम भारतवासियों को सब प्रकार से संपन्न किया लेकिन हम आत्मबोध से भागने लगे शौर्य को अध्यात्म से संयुत न करने का परिणाम हुआ कि स्वैराचार में वृद्धि होने लगी
संयम की साधना से दूर हो गये
धृति: क्षमा दमोऽस्तेयं शौचमिन्द्रियनिग्रह:।
धीर्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्मलक्षणम्।। (मनुस्मृति ६.९२)
आदि जीवन जीने की शब्दों में पिरोई हुई अभिव्यक्तियां हैं
इन सबके लिये आश्रम थे
ऐसी समृद्ध परंपरा के वाहक हम अब कहां पहुंच गये हैं इस पर चिन्तन करने की आवश्यकता है
दुर्गाष्टमी पर कल दिल्ली युगभारती का भव्य कार्यक्रम संपन्न हुआ l
.इस तरह के कार्यक्रमों में चिन्तनपक्ष भी रखें निष्कर्ष लिखें प्रकाशन के लिये सामग्री खोजें
यह संगठन को मजबूती देगा
सदाचार संप्रेषण की इन सब जानकारियों से लाभ प्राप्त करने का प्रयास करते रहें तो
सदाचार का शिक्षण देने का हमारे अन्दर भी उत्साह आ जायेगा
इसके अतिरिक्त मनीष कृष्णा जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया आदि जानने के लिये सुनें