11.4.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 11 अप्रैल 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है भावितात्मन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 11 अप्रैल 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w



हम सुदृढ़ परम्परा के वाहक रहे हैं लेकिन परिस्थितियों के झोकों ने हमें समूल नष्ट करने का असफल प्रयास किया

हमारे मन मस्तिष्क को सदैव यह बात आन्दोलित करती रहनी चाहिये कि हम तत्त्वदर्शी हैं भावनाओं के ज्वार हैं विचारों के आगार हैं

इस सदाचार संप्रेषण का मूल हेतु यही है

हमारी सांस्कृतिक ज्योति को बुझाने के घृणित प्रयास किये गये हैं लेकिन यह ज्योति बुझी नहीं


विद्यालय में हनुमान जी की प्राणप्रतिष्ठा के समय मुख्य पुरोहित रहे डा श्रीकृष्ण देव(पूर्व अध्यक्ष संस्कृत विश्वविद्यालय काशी )ने कहा था कि मैक्समूलर ने बहुत नुकसान किया यद्यपि स्वामी विवेकानन्द ने मैक्समूलर की बहुत प्रशंसा की थी

हमारी सांस्कृतिक विचारधारा के मूल स्रोत (लोकहित प्रकाशन ) (सुरेश सोनी )(2016)

में  भी बताया गया है कि मैक्समूलर ने बहुत नुकसान पहुंचाया 

The Life and Letters of the Right Honourable Friedrich Max Muller; (Ed. by His Wife) पुस्तक में कहा गया है कि वेद निकृष्ट हैं 

आचार्य जी ने अप्पय दीक्षित का उल्लेख किया जिनकी चर्चा तक नहीं होती 

अप्पय दीक्षित  वेदांत दर्शन के विद्वान्‌ थे इनके पौत्र नीलकंठ दीक्षित के अनुसार ये 72 वर्ष तक जीवित रहे थे।  सुप्रसिद्ध वैयाकरण भट्टोजि दीक्षित इनके शिष्य थे। इनके करीब 400 ग्रंथों का उल्लेख मिलता है। शंकरानुसारी अद्वैत वेदान्त का प्रतिपादन करने के अलावा इन्होंने ब्रह्मसूत्र के शैव भाष्य पर भी शिव की मणिदीपिका नामक  टीका लिखी।

(स्रोत :विकीपीडिया )

मस्तिष्क परिवर्तित करते हुए अंग्रेजी और अंग्रेजियत ने हमारा बहुत नुकसान किया है

हमें इस पर चिन्तन करना चाहिये 


जीवन की भूमिका तैयार करें ताकि उपसंहार विकृत न हो

(एक सूचना :युगभारती को 80G के अंतर्गत मान्यता प्राप्त हो गई है)