को छूट्यौ इहि जाल परि, कत कुरंग अकुलात। ज्यौं-ज्यौं सुरझि भज्यौ चहत, त्यौं त्यौं उरझत जात॥
कवि बिहारी
प्रस्तुत है प्रगुण आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 13 अप्रैल 2022
का सदाचार संप्रेषण
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https://youtu.be/YzZRHAHbK1को
मन को शान्त और आनन्दित करने के लिये अध्यात्म में प्रवेश आवश्यक है
ध्यान का एक छन्द है
शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम् ।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम् ॥
आचार्य जी ने इसकी बहुत अच्छी व्याख्या की
एक और छन्द है
पृथ्वी सगन्धा सरसास्तथापः ;
स्पर्शी च वायुर्ज्वलितं च तेजः।
नभः सशब्दं महता सहैव ;
कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम्।।
इस तरह के ध्यान से हमें शान्ति मिलती है
यं ब्रह्मा वरुणेन्द्ररुद्रमरुत: स्तुन्वन्ति दिव्यै: स्तवै-
र्वेदै: साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगा:।
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो-
यस्तानं न विदु: सुरासुरगणा देवाय तस्मै नम:।।
मनुष्ययोनि को प्राप्त कर हम अपने मनुष्यत्व को सफल करते रहें इसके लिये अध्यात्म का मार्ग बहुत प्रेरक सहायक और शान्तिदायक है
अध्यात्म का मार्ग वैराग्यमय होने के साथ कर्ममय भी है इसके लिये गीता के अन्दर प्रवेश लाभप्रद है
हमारी संस्कृति में ध्यान धारणा योगमार्ग ज्ञानमार्ग उपासनामार्ग आदि गीता में यथासमय में प्रदर्शित कर दिये गये हैं इस कारण इस अतुलनीय ग्रंथ में बहुत उच्चकोटि के विद्वान आनन्द की अनुभूति करते हैं और अपने विचारानुरूप व्याख्याएं करते हैं
जीवन की समयसारणी बना लें लेकिन जो करें उसमें रमें
यह न करें कि घर पर हैं तो कार्यस्थल के बारे में सोच रहे हैं कार्यस्थल पर हैं तो घर के बारे में
एक अत्यन्त दुःखद सूचना है कि भैया राजेश मल्होत्रा जी बैच 1975 के पूज्य पिता जी श्री किशन लाल मल्होत्रा जी निवासी 120/304 लाजपत नगर कानपुर का स्वर्गवास 11.04 2022 को हो गया