हिमालय के आँगन में उसे, प्रथम किरणों का दे उपहार
उषा ने हँस अभिनंदन किया, और पहनाया हीरक हार ।
जगे हम, लगे जगाने विश्व, लोक में फैला फिर आलोक
व्योम-तम-पुंज हुआ तब नष्ट, अखिल संसृति हो उठी अशोक ।
जय शंकर प्रसाद
प्रस्तुत है उरुगाय आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 15अप्रैल 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
परमात्मा ने मनुष्य को अपना प्रतिनिधि बनाया सृष्टि के वैविध्य का आनन्द ले अनुसंधान करे चिन्तन विचार करे मानवीय कल्याण के लिये काम करे यही महाप्राणा भारतीय संस्कृति का आधार है जिससे संपूर्ण जगत को ऊर्जा मिलती हैl विषम परिस्थितियों में भी अपनी प्राणिक ऊर्जा के प्रकाश से अपने को जीवन्त बनाये रखना महाप्राणता कहलाती है
डा हेडगेवार ने चारित्र्य संपन्न हिन्दुओं का संगठन करने का संकल्प किया l उन्होंने कहा हम भारतीय संस्कृति के आधार पर इसके चिन्तन में रत व्यक्तियों को खोजेंगे और प्रेम से उनका संगठन करेंगे
शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलंबन का आधार लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने चित्रकूट में यहां के लोगों को संगठित कर जाग्रत करने का संकल्प किया
उसी के आधार पर
आज से चित्रकूट में एक चिन्तनशिविर प्रारम्भ हो रहा है इसी से संयुत होने के लिये आचार्य जी ने यहां युगभारती का प्रवेश कराया इस शिविर में आचार्य जी के अतिरिक्त भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी जी और भैया शुभेन्द्र सिंह परिहार भाग ले रहे हैं
राष्ट्र के हित के लिये काम करने वाले संगठनों में कोई अन्तर नहीं है चाहे वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हो युग भारती हो या दीनदयाल शोध संस्थान
यद्यपि सबकी भूमिकाएं अलग अलग हैं लेकिन आधार राष्ट्रहित है
राष्ट्रहित में काम करते समय यह न सोचें कि इससे हमको क्या मिलेगा विचारों को सात्विक बनाने के लिये
प्रातःकाल जाग्रत होकर आत्मचिन्तन में बैठने का अभ्यास करें यही ध्यान की भूमिका है केवल प्रकाश स्थिर करना ही ध्यान नहीं है
संसार उपयोगहीन नहीं है श्मशान वैराग्य तो क्षणिक होता है