17.4.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 17अप्रैल 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है सूरिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 17अप्रैल 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संयुक्त राष्ट्र के धारणीय विकास के लक्ष्यों पर चित्रकूट की पावन धरती में 15 से 17 अप्रैल 2022:तक आयोजित होने वाले प्रथम त्रिदिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आज समापन होने जा रहा है

आज का सदाचार संप्रेषण भी पिछले दो दिनों की भांति आचार्य जी चित्रकूट से ही कर रहे हैं

आचार्य जी ने अष्टांग योग के बारे में बताया

हमारे ऋषि-मुनियों ने योग के द्वारा शरीर, मन और प्राण की शुद्धि तथा परमात्मा की प्राप्ति के लिए आठ प्रकार के साधन बताये हैं, जिसे अष्टांग योग कहते हैं। योग के ये आठ अंग हैं - यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, ध्यान, धारणा और समाधि। इनमें पहले पांच साधनों का संबंध मुख्य रूप से स्थूल शरीर से है। ये सूक्ष्म से स्पर्श मात्र करते हैं, जबकि बाद के तीनों साधन सूक्ष्म और कारण शरीर का गहरे तक स्पर्श करते हुए उसमें परिष्कार करते हैं। इसीलिए पहले साधनों - यम, नियम, आसन, प्राणायाम व प्रत्याहार को बहिरंग साधन और धारणा, ध्यान तथा समाधि को अंतरंग साधन कहा गया है।( साभार http://yogainstantly.in)


आचार्य जी ने कामदगिरि की भी चर्चा की जो चित्रकूट में किसी भी स्थान से देखे जाने पर धनुषाकार दिखाई देता है।

आचार्य जी ने विस्तार से बताया कि जब भी हम अकेले हों तो अपने को किस प्रकार प्रफुल्लित रख सकते हैं

इसके अतिरिक्त जाग्रत स्थान से क्या तात्पर्य है? भारतवर्ष के स्वर्गिक स्वरूप को किस प्रकार आचार्य जी ने वर्णित किया? कल कुछ समय के लिये आचार्य जी अकेले क्यों थे? जानने के लिये सुनें