" प्रचण्ड तेजोमय शारीरिक बल, प्रबल आत्मविश्वास युक्त बौद्धिक क्षमता एवं निस्सीम भाव सम्पन्ना मनः शक्ति का अर्जन कर अपने जीवन को निःस्पृह भाव से भारत माता के चरणों में अर्पित करना ही हमारा परम साध्य है l "
प्रस्तुत है वयःस्थ आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 19 अप्रैल 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
स्थान : सरौंहां
आचार्य जी हाल में ही चित्रकूट से लौटे हैं
किसी समय चित्रकूट की पावन धरती की व्यवस्थाएं बहुत अनगढ़ थीं लेकिन नाना जी देशमुख के पौरुष -प्रदर्शन से अब वहां बहुत सुधार आ गया है आचार्य जी ने परामर्श दिया कि हम लोग वहां अवश्य जायें
आचार्य जी सदैव भगवान् से यह प्रार्थना करते हैं कि उनके मानस पुत्र भाव के साथ अभिव्यक्तिमय हो जायें लेखन -योग पर ध्यान दें चिन्तन मनन करें चर्चा करें संकल्पसिद्ध हों ताकि वे भारत मां के सेवक बन सकें
आचार्य जी ने निम्नलिखित पंक्तियों में अपने अद्भुत भाव उकेरे
*अपने और परायों की परिभाषा है ये दुनिया*
*तरह तरह के मनभावों की भाषा है ये दुनिया*.....
और आचार्य जी ने
2010 में लिखी अपनी एक और कविता सुनाई
*था गांव एक परिवार देवता सब सबके*...
इसके अतिरिक्त जवासा घास क्या होती है नागर शब्द के क्या क्या अर्थ हैं आदि जानने के लिये सुनें