नववर्ष मंगलकामना की भावना का पर्व है ,
हम भरतभू के पुत्र हैं, इसका हमें अति गर्व है ।
प्रस्तुत है वप्ता आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज नव संवत्सर 2079 चैत्र शुक्ल प्रतिपदा दिनांक 2 अप्रैल 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
शरीर हमारा साथी है शरीर के माध्यम से ही शक्ति की अभिव्यक्ति होती है लेकिन जब हमारा शरीर शिथिल होता है तो मन उसकी विवेचना में लग जाता है उत्साह कम हो जाता है और ऐसी परिस्थितियों में जिनमें त्वरित हल न मिलता हो भक्ति के आश्रय में जाने का प्रयास करना चाहिये
शरीर अद्भुत यन्त्र है भक्ति विश्वास के आधार पर विषम परिस्थितियों में भी मनुष्य आगे बढ़ जाता है
दैवीय विधान के आधार पर ही हम लोग चल रहे हैं विचार कर रहे हैं दैवीय विधान क्या है गीता के दूसरे अध्याय के इन छन्दों में परिलक्षित हो रहा है
कार्पण्यदोषोपहतस्वभावः
पृच्छामि त्वां धर्मसंमूढचेताः।
यच्छ्रेयः स्यान्निश्चितं ब्रूहि तन्मे
शिष्यस्तेऽहं शाधि मां त्वां प्रपन्नम्।।2.7।।
न हि प्रपश्यामि ममापनुद्याद्
यचछोकमुच्छोषणमिन्द्रियाणाम् ।
अवाप्य भूमावसपत्नमृद्धं
राज्यं सुराणामपि चाधिपत्यम्।।8।।
अर्जुन जैसे योगस्थ व्यक्ति को संसार कितना अधिक लिपट गया कि भगवान् कृष्ण जैसे मार्गदर्शक को अर्जुन को समझाने में बहुत समय लग गया और फिर उसके मोह के परदे खुले
हम आत्मस्थ होने का प्रयास करें
अनुभूत भावों पर आधारित सदाचार का प्रभाव हमारे लिये अधिक लाभकारी है
कार्यक्रमों को बहुत प्रभावशाली बनाना चाहिये ताकि बहुत लम्बे समय तक लोग उनको याद कर सकें और बहुत लोगों पर वे प्रभाव छोड़ सकें
इसके अतिरिक्त श्री रवीन्द्र पाठक जी का नाम आचार्य जी ने क्यों लिया जानने के लिये सुनें 👇