5.4.22

 प्रस्तुत है उत्साहहेतुक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 5 अप्रैल 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


हम लोग सदाचार संप्रेषण का श्रवण कर उससे अवगत होकर उसे कार्य में परिणत कर लें तो यह भगवान् की अत्यन्त कृपा है

लेकिन सामान्य रूप से सुनना अलग होता है समझना कुछ होता है और करना कुछ होता है

महाभारत में 105 भाइयों को  द्रोणाचार्य पहला पाठ बता रहे हैं

सत्यं वद धर्मं चर स्वाध्यायान्मा प्रमदः ।

आचारस्य प्रियं धनमाहृत्य प्रजातन्तुं मा व्यवच्छेत्सीः ll


युधिष्ठिर को इसे याद करने में बहुत समय लगा और बहुत दिन बाद सत्यं वद याद हो पाया l

आचार्य जी ने विस्तार से शिक्षा का मर्म क्या है इसे समझाया 


आजकल की  स्कूली शिक्षा से आचरण चिन्तन विचार संकल्प क्रियासिद्धि की कल्पना भी नहीं की जा सकती


इस सदाचार संप्रेषण से बहुत   अधिक मात्रा में प्रभाव दिखे इसके लिये हम सबको चिन्तन करना होगा


अविभक्तं च भूतेषु विभक्तमिव च स्थितम्।


भूतभर्तृ च तज्ज्ञेयं ग्रसिष्णु प्रभविष्णु च।।13.17।।

की व्याख्या करते हुए आचार्य जी ने बताया कि शिक्षार्थी और शिक्षक के बीच में घिसी पिटी लीक वाली रटाई का काम चल रहा है किसी के भी द्वारा सत्ता में बैठने मात्र से ही क्या राष्ट्र -कल्याण हो सकता है



चारों ओर नकली आयोजनों की  बाढ़ है ऐसा ही बहुत कुछ चल रहा है लेकिन  किसी को किसी समय यह चलना अच्छा नहीं लगता और उसके अन्दर बहुत से भाव आने लगते हैं

उसके अन्दर युधिष्ठिर जैसी जिज्ञासा बलवती हो जाती है यह भावमय संसार अद्भुत है

भगवान् की ही कृपा है कि 

हम युगभारती सदस्य भी किसी विशिष्ट भाव के कारण संयुत हैं


समाज के लिये काम करते समय हम आनन्द का अनुभव करते हैं बोझिल नहीं होते हैं