7.4.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 7 अप्रैल 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है प्रणत आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 7 अप्रैल 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1रहते


सम्बन्ध जोड़ना संसार का सत्य है और संसार का जीवन है

इस सम्बन्ध को मधुर और प्रभावशाली बनाने के लिये अपने आचरण अपने व्यवहार और अपने विचारों को अच्छा बनाने की आवश्यकता होती है


सद्गुणों से तो सम्बन्ध बनते ही हैं स्वार्थवश भी सम्बन्ध बनते हैं दर्शनशास्त्र के अनुसार स्वार्थ का अर्थ है अपने लिये

लेकिन स्वार्थ शब्द का अर्थापकर्ष होने से उसका अर्थ हो गया 'खराब '


स्व -अर्थ संसार में सबके साथ संयुत है बिना अर्थ के हम निरर्थक हो जाने के कारण त्याज्य हो जाते हैं


इसी कारण स्वार्थ सार्थकता का आधार है हम स्वार्थमय संसार में अपने स्वार्थमय शरीर के साथ संयुत होकर राष्ट्र के स्वार्थ के लिये कार्य करते रहते हैं और इसे अच्छा मानते हैं


चिन्तन, मनन, स्वाध्याय, संसार में रहने हेतु सामर्थ्य जुटाने के लिये हमें कुछ करना होता है

हमारे जीवन का प्रातःकाल जाग जाये तो हम असुविधाओं में भी सुविधाएं खोज सकते हैं

जीवन का प्रभात सोता रहे तो बहुत से साधन एकत्र करने के बाद भी हम प्रसन्न नहीं रहते

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया अरविन्द तिवारी जी की चर्चा क्यों की जानने के लिये सुनें 👇