8.4.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 8 अप्रैल 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है उत्तमश्लोक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 8 अप्रैल 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


बिनु सतसंग बिबेक न होई। राम कृपा बिनु सुलभ न सोई॥

सतसंगत मुद मंगल मूला। सोई फल सिधि सब साधन फूला॥4॥


सठ सुधरहिं सतसंगति पाई। पारस परस कुधात सुहाई॥

बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥5॥


सत्संग अतिमहत्त्वपूर्ण है हमें इनके अवसर अवश्य खोजने चाहिये 

अच्छे लोगों के साथ बैठने पर हम अच्छे कार्यों को करने के लिये उन्मुख होंगे अच्छी योजनाएं बनायेंगे


Seminars गोष्ठियां सत्संग का ही एक बदला हुआ रूप हैं जैसे आश्रमपद्धति से चलने वाले विद्यालयों का स्वरूप अब बदल गया है


उस समय की शिक्षा के स्वरूप को जानने का हमें प्रयास करना चाहिये


अच्छे विद्यार्थी के मन में बहुत से प्रश्न होते हैं, प्रश्न प्रतिप्रश्न होते हैं


प्रश्न पूछने की तैयारी करते समय कामना करनी है


ॐ भद्रं कर्णेभिः शृणुयाम देवा भद्रं पश्येमाक्षभिर्यजत्राः ।

स्थिरैरङ्गैस्तुष्टुवांसस्तनूभिर्व्यशेम देवहितं यदायुः ॥

(ऋग्वेद मंडल 1, सूक्त 89, मंत्र 8)


इसकी व्याख्या करते हुए आचार्य जी ने बताया हमारे द्वारा प्राणिमात्र का कल्याण होना चाहिये


अध्यात्म,शिक्षा,ध्यान धारणा, पूजा आदि से संबंधित प्रश्न सुस्पष्ट होने चाहिये और इनके उत्तर आदरपूर्वक प्राप्त करें भले ही उत्तर देने वाला आपसे आयु में छोटा हो

पद में छोटा हो

शौर्य प्रमंडित अध्यात्म केवल SOCIAL MEDIA पर डालकर  हमें संतुष्ट नहीं होना चाहिये


निस्पृह भाव से समाजसेवा करें

इस संसारी भाव में आत्मविस्तार ही मनुष्य के जीवन का सबसे बड़ा प्राप्तव्य है


अपनी भूमिका को पहचानकर कार्य करते रहें

चित्रकूट के आगामी कार्यक्रम में पहुंचकर अपना व्याप बढ़ाएं