जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई। जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके ह्रदय बसहु रघुराया।
प्रस्तुत है महातेजस् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 1 मई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
प्रतिदिन के सांसारिक प्रपंचों में व्यस्त होने के बाद भी आचार्य जी हमारा मार्गदर्शन करते हैं यह हम लोगों का सौभाग्य है
व्यक्ति को संपदा, वैभव, शिक्षा, सुविधा, यश प्राप्त होने पर भी गुरूर नहीं करना चाहिये
किसी भी परिस्थिति में उलझाव में कर्तव्यनिर्वाह में होने के बाद भी आप समय निकालकर आत्मचिन्तन करें और भक्ति की ओर उन्मुख हों
क्योंकि
ईशावास्यमिदं सर्वं यत्किञ्च जगत्यां जगत् ।
तेन त्यक्तेन भुञ्जीथा मा गृधः कस्यस्विद्धनम् ।।
जड़-चेतन प्राणियों वाली यह सारी सृष्टि ईश्वर से व्याप्त है। व्यक्ति इसके पदार्थों का आवश्यकतानुसार भोग करे, ‘ यह सब मेरा नहीं है 'के भाव के साथ
और उनका संग्रह न करे।
भक्ति आप किसी भी तरह की कर सकते हैं
भक्ति के तो नौ प्रकार हैं
श्रवणं कीर्तनं विष्णोः स्मरणं पादसेवनम्।
अर्चनं वन्दनं दास्यं सख्यमात्मनिवेदनम् ॥
(1 फरवरी 2022 को नवधा भक्ति के बारे में आचार्य जी ने विस्तार से बताया था)
समय पर जागरण स्नान भोजन शयन आदि भी आवश्यक है
चिन्तन मनन स्वाध्याय अध्ययन ध्यान निदिध्यासन शौर्यप्रमण्डित अध्यात्म में रत हों
नवें अध्याय में
महात्मानस्तु मां पार्थ दैवीं प्रकृतिमाश्रिताः।
भजन्त्यनन्यमनसो ज्ञात्वा भूतादिमव्ययम्।।9.13।।
हे अर्जुन ! दैवी प्रकृति के आश्रित महात्मा पुरुष मुझे समस्त भूतों का आदिकारण और अव्ययस्वरूप जानकर मुझे भजते हैं।।
सततं कीर्तयन्तो मां यतन्तश्च दृढव्रताः।
नमस्यन्तश्च मां भक्त्या नित्ययुक्ता उपासते।।9.14।।
सतत मेरा कीर्तन करते हुए, प्रयत्नशील, दृढ़व्रती पुरुष मुझे नमस्ते करते हुए भक्तिपूर्वक मेरी उपासना करते हैं।।
अपने से अधिक कोई नहीं जानता कि वो क्या सही कर रहा है और क्या बुरा कर रहा है अतः स्वयं के बारे में चिन्तन करें डायरी लेखन करें
युगभारती संगठन के लिये भी काम करते हुए भक्ति का ध्यान रखें
संस्कार सिर चढ़कर बोलते हैं
संस्कारी शिक्षा के कारण ही हम बड़े लोगों के पैर छूते हैं
डा हेडगेवार ने भगवा ध्वज को गुरु क्यों बनाया भैया वीरेन्द्र त्रिपाठी का नाम क्यों आया नारद का अर्थ क्या है आदि जानने के लिये सुनें