2.5.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 2 मई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है प्रत्ययकारिन् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 2 मई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


सांसारिक प्रपंचों से विरक्त होकर भी मनुष्य को शान्ति नहीं मिलती और उनमें अनुरक्त होकर भी शान्ति का अभाव रहता है तो उसे सामञ्जस्य स्थापित करने की आवश्यकता होती है जिसके लिये वह संयम का आश्रय लेता है

बहुअर्थी संयम की तरह बहुत सी चीजें हैं जो हमें स्वयं तो समझ में नहीं आती हैं फिर भी हम लोगों को समझाने के अभ्यस्त हो जाते हैं यह अभ्यास ही दुनिया का जगत व्यवहार है


पूर्ण विज्ञ और पूर्ण अज्ञ के विपरीत हम मध्यवर्गीय मनुष्यों के साथ ही यह होता है


यह मध्य अतिमहत्त्वपूर्ण है l जैसे मध्य का गात (कटि से ग्रीवा तक )और मेरुदंड

मध्य का कार्य है धरती और आकाश को संयुत करना

इसी तरह माध्यमिक शिक्षा भी,आर्थिक दृष्टि से मध्यवर्ग भी महत्त्वपूर्ण है हम में सभी प्रायः मध्यवर्गीय हैं मध्यवर्ती हैं मध्यमार्गीय हैं


शुक्लयजुर्वेद की कण्व शाखा की तरह माध्यान्दिनी भी उसकी एक शाखा है


सेना का मध्यभाग भी अतिमहत्त्वपूर्ण है


तुलसी के मानस में मध्य में कथा है  प्रारम्भ और अन्त में अध्यात्म है  सामान्य  भाषा में प्रस्तुत मानस अद्भुत जीवनदर्शन है


2 नवंबर  1834 को एटलस नामक जहाज से यूपी और बिहार के मजदूरों को जब अंग्रेज बहला फुसलाकर माॅरिशस ले गये थे तो ये अपने साथ मानस के गुटके ले गये थे


आचार्य जी ने सस्वर गीता और मानस का पाठ करने का परामर्श दिया ताकि हम संयमित रहें

हम व्याकुल न हों

डांवाडोल धरती को संयमी लोग साधते हैं

धन की अधिकता से भी हम व्याकुल हो गये


साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय । मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥


इसीलिये संतुलन बहुत आवश्यक है

इन बातों को अपने तक सीमित न रख अपनों तक पहुंचाये तो यह पुरुषार्थ पराक्रम का प्रकटीकरण है


इससे यह दिखॆगा कि राष्ट्र की रक्षा के लिये हम सतत जागरूक हैं


आचार्य जी ने नेता शब्द का क्या अर्थ बताया भैया मुकेश गुप्त जी का नाम केरल की किस घटना के संदर्भ में आया जानने के लिये सुनें