12.5.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 12 मई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 यदृच्छया चोपपन्नं स्वर्गद्वारमपावृतम्।


सुखिनः क्षत्रियाः पार्थ लभन्ते युद्धमीदृशम्।।2.32।।



प्रस्तुत है  शैलसार आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 12 मई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


संपूर्ण संसार मोहाछन्न है लेकिन संसार का स्वरूप है कि स्वयं तो हम मोहाछन्न रहते हैं लेकिन दूसरे को शिक्षा देते हैं

युद्ध करने गये अर्जुन भी मोह से ग्रस्त हैं


कथं भीष्ममहं संख्ये द्रोणं च मधुसूदन।


इषुभिः प्रतियोत्स्यामि पूजार्हावरिसूदन।।2.4।।


निम्नांकित श्लोक में अर्जुन भगवान् कृष्ण से पूछते हैं कि स्थितप्रज्ञ पुरुष के क्या लक्षण होते हैं

स्थितप्रज्ञस्य का भाषा समाधिस्थस्य केशव।


स्थितधीः किं प्रभाषेत किमासीत व्रजेत किम्।।2.54।।


हे केशव!

समाधि में स्थित स्थिर बुद्धि वाले पुरुष के क्या लक्षण होते हैं वह किस प्रकार बोलता बैठता चलता है


स्थितप्रज्ञता का वर्णन करना एक बात है और व्यवहार में लाना दूसरी बात

व्यवहार में लाना अद्भुत है

कश्मीर से संबन्धित प्रसंग का उल्लेख करते हुए आचार्य जी ने बताया कि श्रद्धेय बैरिस्टर साहब वास्तव में स्थितप्रज्ञ की प्रतिमूर्ति थे


ऐसे लोग ही संसार में रहते हुए भी संसार का संस्पर्श नहीं कर पाते काम कठिन है लेकिन इस कलियुग में भी इस प्रकार के उदाहरण मिल जाते हैं


भगवान् कृष्ण समझाते हैं


प्रजहाति यदा कामान् सर्वान् पार्थ मनोगतान्।


आत्मन्येवात्मना तुष्टः स्थितप्रज्ञस्तदोच्यते।।2.55।।


मन में स्थित सारी कामनाओं को त्यागकर बाह्य लाभ की अपेक्षा न करने वाला स्वयं से स्वयं में संतुष्ट रहता है उस समय वह स्थितप्रज्ञ है


दुःखेष्वनुद्विग्नमनाः सुखेषु विगतस्पृहः।


वीतरागभयक्रोधः स्थितधीर्मुनिरुच्यते।।2.56।।


दुःख और सुख में समान रहे वह स्थितप्रज्ञ है


.....

विषया विनिवर्तन्ते निराहारस्य देहिनः।


रसवर्जं रसोऽप्यस्य परं दृष्ट्वा निवर्तते।।2.59।।


ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।


सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।


क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।


स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशोआदि बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।2.63।।

आदि की आचार्य जी ने व्याख्या की

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया अनुज सारस्वत जी का नाम क्यों लिया भैया मनोज अवस्थी जी किसके साथ आचार्य जी से मिलने हम लोगों के गांव जा रहे हैं आदि जानने के लिये सुनें