17.5.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 17मई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है  लक्ष्मण आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 17मई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


हर तरह से सामञ्जस्य बैठाते हुए हमें बिना व्याकुल हुए,    क्योंकि जो करता है परमात्मा करता है और परमात्मा सब अच्छा ही करता है, जीवन जीने का प्रयास करना चाहिये


आचार्य जी ने सर्वे भवन्तु सुखिनः... का उल्लेख करते हुए सर्वे का व्यापक अर्थ बताया


जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।

संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥6॥

आदि का उल्लेख करते हुए आचार्य जी कहते हैं कि इस संश्लेषणात्मक जीवन को जीते हुए भी हमने अनुसंधानों का दम्भ नहीं किया जब कि पश्चिम में ऐसा नहीं है


UNO को समझ में आया कि विश्व को आनन्दित और स्थिर बनाने के लिये निम्नांकित लक्ष्य उचित हैं


The 17 sustainable development goals (SDGs) to transform our world:

GOAL 1: No Poverty


GOAL 2: Zero Hunger


GOAL 3: Good Health and Well-being


GOAL 4: Quality Education


GOAL 5: Gender Equality


GOAL 6: Clean Water and Sanitation


GOAL 7: Affordable and Clean Energy


GOAL 8: Decent Work and Economic Growth


GOAL 9: Industry, Innovation and Infrastructure


GOAL 10: Reduced Inequality


GOAL 11: Sustainable Cities and Communities


GOAL 12: Responsible Consumption and Production


GOAL 13: Climate Action


GOAL 14: Life Below Water


GOAL 15: Life on Land


GOAL 16: Peace and Justice Strong Institutions


GOAL 17: Partnerships to achieve the Goal


भारतीय चिन्तन बहुत सकारात्मक और ऊर्जा प्रदान करने वाला है उत्तरकांड में


बरनाश्रम निज निज धरम निरत बेद पथ लोग।

चलहिं सदा पावहिं सुखहि नहिं भय सोक न रोग॥20॥

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥

सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥1॥


चारिउ चरन धर्म जग माहीं। पूरि रहा सपनेहुँ अघ नाहीं॥

राम भगति रत नर अरु नारी। सकल परम गति के अधिकारी॥2॥

अल्पमृत्यु नहिं कवनिउ पीरा। सब सुंदर सब बिरुज सरीरा॥

नहिं दरिद्र कोउ दुखी न दीना। नहिं कोउ अबुध न लच्छन हीना॥3॥


..

राम राज नभगेस सुनु सचराचर जग माहिं।

काल कर्म सुभाव गुन कृत दु:ख काहुहि नाहिं॥21॥


..

राम राज बैठे त्रैलोका। हरषित भए गए सब सोका।।

बयरु न कर काहू सन कोई। राम प्रताप विषमता खोई।।


UNO ने तो सत्रह लक्ष्य निर्धारित किये तुलसीदास जी ने बहुत  थोड़े में ही उन्हें रख दिया यही रामराज्य है

अपनी भारतीय जीवन पद्धति को न समझते हुए वैदैशिक विश्लेषणात्मक जीवन को समझकर अपने ऊपर लागू करने का निरर्थक अभिशप्त प्रयास करते हैं


हमें यह प्रयास करना है कि इस भारतीय चिन्तन को नये रूप में किस तरह प्रस्तुत किया जाए दीनदयाल जी कहते थे कि हम अपनी नींव पर नया निर्माण करेंगे


वैश्विक दृष्टि से हम अपने को बीस साबित करें



सही शिक्षा से ही बहुत कुछ सुधार सकता है



छन्दः पादौ तु वेदस्य हस्तौ कल्पोऽथ पठ्यते, ज्योतिषामयनं चक्षुर्निरुक्तं श्रोत्रमुच्यते। शिक्षा घ्राणं तु वेदस्य मुखं व्याकरणं स्मृतम् , तस्मात्सांगमधीत्यैव ब्रह्मलोके महीयते॥

शिक्षा वेद की नासिका है



समय समय के आन्दोलनात्मक कार्यों में अपना सहयोग करें हमारे अन्दर सेवा स्वाध्याय संयम श्रद्धा आदि सद्गुणों का प्रवेश हो इसका प्रयास करें

इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया पुनीत भैया मोहन भैया मनीष भैया अरविन्द का नाम क्यों लिया वर्तमान प्रधानाचार्य श्री राकेश राम त्रिपाठी जी ने आचार्य जी से क्या निवेदन किया जानने के लिये सुनें