यो न हृष्यति न द्वेष्टि न शोचति न काङ्क्षति।
शुभाशुभपरित्यागी भक्तिमान्यः स मे प्रियः।।12.17।।
प्रस्तुत है इज्याशील आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 20 मई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
आचार्य जी का प्रयास रहता है कि इन सदाचार संप्रेषणों के महत्त्व को समझते हुए हम अपना महान् जीवनदर्शन तैयार कर सकें और इतिहास में हमें स्थान मिले
मनुष्य परिस्थितियों का दास नहीं अपितु परिस्थितियों के साथ संतुलन स्थापित कर जीवन की यात्रा को आगे बढ़ाता चलता है
कोई यह भी कहता है कि मनुष्य परिस्थितियों का दास है
विचार भिन्न भिन्न हो सकते हैं लेकिन इनका गंतव्य एक ही है कि हमें आनन्द मिले
वेदा विभिन्नाः स्मृतयो विभिन्ना
नासौ मुनिर्यस्य मतं न भिन्नम् |
धर्मस्य तत्त्वं निहितं गुहायां
महाजनो येन गतः स पन्थाः ||
लेकिन हमें यह पहचानना होता है कि महाजन कौन है
महाजन वह है जो समअवस्था में रहता है
मनुष्य अपनी राह को सरल बनाने के लिये विभिन्न प्रकार के सुरक्षा चक्र तैयार करता है
जीवन को ठीक प्रकार से चलाने के लिये सुरक्षा चक्र अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है
सुरक्षा चक्र ऐसा कि हमारा मन प्रसन्न हो बुद्धि सक्रिय हो शरीर का सहयोग भी मिले और अपने परिवेश के साथ सामञ्जस्य बैठा लें
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःखभाग् भवेत्।।
एक दुःखद घटना हुई कि डाक्टर दीपेन्द्र प्रताप सिंह तोमर जी (बैच 1987)अल्पायु में हमें छोड़कर ब्रह्मलीन हो गये
ब्रेन हेमरेज के लिए उनका उपचार कुछ समय से चल रहा था।