जवानी ज्योति जीवन की अंधेरे को भगाती है
प्रणव का घोष मंगल आरती की दिव्य बाती है
प्रस्तुत है प्रेप्सु आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 23 मई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
हम अनन्त पुत्रों में उत्साह उमंग आत्मीयता स्मृतियों से लगाव देखकर आचार्य जी को अपने प्रयास फलीभूत होते दिख रहे हैं
भारत वर्ष इस समय उन्तीस वर्ष का एक जवान देश है और सारा विश्व भारत की इस जवानी की ओर देख रहा है
आचार्य जी ने जवानी शीर्षक से एक कविता लिखी थी जो
गीत मैं लिखता नहीं हूं में छपी थी (पृष्ठ 39से 44)
आचार्य जी ने जवानी को किस तरह परिभाषित किया है आइये देखते हैं
जवानी शौर्य का शृंगार संयम की सरल भाषा
उमड़ती भावना का ज्वार तप की मौन परिभाषा
जवानी के लिये इतिहास के पन्ने मचलते हैं
जवानी की धमक से काल के आलेख टलते हैं
जवानी की उमंगों से नये प्रतिमान बन जाते
प्रबंधों के नये अध्याय नूतन गान बन जाते
जवानी ने कभी अवरोध की सत्ता न मानी है
प्रथाओं वर्जनाओं की इयत्ता भी न जानी है
जवानी ने सदा संकल्प को साथी बनाया है
मधुर पय ही नहीं केवल, गरल भी आजमाया है
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जवानी उम्र के दर की नहीं मोहताज होती है
समय के भाल पर जगमग चमकता ताज होती है
जवानी भावना का ज्वार है संसार सागर का
जवानी कर्म का संभार है यह मंत्र साबर का
जवानी को जरा का लोभ जब -जब घेर लेता है
धरा का भाग्य अपने आप ही मुंह फेर लेता है
जवानी ज्योति जीवन की अंधेरे को भगाती है
प्रणव का घोष मंगल आरती की दिव्य बाती है
जवानी आत्मवश अलमस्त इन्द्रिय की नहीं चेरी
गरजती भीम भैरव से बजी जब -जब समर -भेरी
जवानी वह नहीं जिसको मनोभव जीत लेता है
जवानी का वही हकदार जो मन का विजेता है
न वह जीवन जवानी का जहां लिप्सा पनपती है
प्रखर तेजस्विता की कान्ति जीवन भर दमकती है
जवानी से लड़ा जब भी जमाना मात खाया है
जगत भर ही नहीं विधि भी सदा प्रतिघात पाया है
जवानी लक्ष्य के संधान की अनुपम कहानी है
शिखर से सिन्धु के तल की अमर पावन निशानी है
जवानी ने जगाया व्योम को पाताल को साधा
रही कोई न अग -जग में हटाई जो नहीं बाधा
जवानी आचरण का कोष है व्यवहार की भाषा
घुमड़ती भावना का घोष, वह संसार की आशा
जवानी ने कभी ललकार पर रुकना नहीं जाना
स्वयं यम ही न क्यों छेड़े कभी झुकना नहीं जाना
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इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया मोहन, भैया पवन मिश्र भैया प्रकाश शर्मा जी भैया राजकुमार का नाम क्यों लिया आचार्य जी जब महाविद्यालय में पढ़ाते थे तो उस समय का कौन सा प्रसंग उन्होंने सुनाया आदि जानने के लिये सुनें