कुतस्त्वा कश्मलमिदं विषमे समुपस्थितम्।
अनार्यजुष्टमस्वर्ग्यमकीर्तिकरमर्जुन।।2.2।।
प्रस्तुत है रणशौण्ड आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 27 मई 2022
का सदाचार संप्रेषण
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https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
हम परमात्मा के सर्वाधिक प्रियपात्र बद्धजीवों को परमात्मा की योजनाएं पता नहीं रहती लेकिन इतना पता रहता है कि जो करता है सब परमात्मा ही करता है
यदि हम भक्तिपूर्वक किसी कार्य को करते हैं तो काम छोटा हो या बड़ा वह पूजा का रूप ले लेता है
इसके उदाहरण हैं जूतों की मरम्मत करने वाले महात्मा रविदास कपड़ा बुनने वाले कबीर राजा वीरसिंह की मालिश करने वाले नाई संत शिरोमणि सेन
शौर्य पराक्रम का विजयक्षेत्र भारत भक्तों की खान, तपस्वियों का अरण्य है l इस भारत पर परमात्मा की विशेष कृपा है l
यदि हम मनुष्य सेवा पारायण हो जाते हैं तो स्वाभाविक रूप से भक्त हो जाते हैं
प्रेम - भाव के कारण ही जो अपने युगभारती परिवार की निधि है कल हम लोगों के गांव सरौंहां में बैच 1977 से
श्री संजय मिश्रा जी लखनऊ सपरिवार श्री बलराज पासी जी देहरादून उत्तराखंड सपरिवार,श्री संजय गर्ग जी दिल्ली सपरिवार,श्री मनोज गुप्ता जी कानपुर,श्री विजय अग्रवाल जी कोलकाता सपरिवार पूज्य आचार्य से आशीर्वाद लेने पधारे।
सुनील जी और मुकेश जी भी प्रेम -भाव के कारण युगभारती से संयुत हैं
हमारा जिसके प्रति प्रेम नहीं होगा तो लगाव नहीं होगा जिसके प्रति हमारा आकर्षण है उसी के प्रति हमारा आकर्षण होगा आचार्य जी ने आकर्षण और लोलुपता में अंतर स्पष्ट किया
हमारे देश का साहित्य अद्भुत है अद्वितीय है
ब्रज से मथुरा जाने पर भगवान् श्रीकृष्ण के ब्रज की याद न छूटने की ओर संकेत करते हुए आचार्य जी नेअर्जुन द्वारा हथियार न उठाने पर भगवान् की बदली हुई भूमिका के बारे में भी बताया
एक ओर कृष्ण विलाप करते हैं तो दूसरी ओर गीताज्ञान देते हैं वे मनुष्य का पूर्ण अवतार हैं
गीता और मानस आदि हमें भक्ति ज्ञान वैराग्य कर्म संसार में जीने का सलीका खराब परिस्थितियों से संघर्ष करना सिखाते हैं