29.5.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 29 मई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 प्रस्तुत है अव्यलीक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 29 मई 2022

  का मन बुद्धि विचार को परिष्कृत करता सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


हम राष्ट्र के प्रति निष्ठावान हों,देशद्रोहियों से सावधान रहें उन्हें पहचानें निष्क्रिय निश्चिन्त होकर न बैठें राष्ट्र -निष्ठा से परिपूर्ण विचारों को फैलाएं इन्हीं सब बातों को कहते आचार्य जी द्वारा रचित निम्नांकित काव्यांश वास्तव में बहुत अच्छे बन  पड़े हैं



करो गिनती कि  अपनी कोठरी में बिल अभी कितने

तभी ही द्वार पर पहरा समझदारी का आयेगा

दरो दीवार आंगन कोठरी में झांकना होगा

मुखौटों और मुख के फर्क को भी आंकना होगा


चुनौती आ खड़ी है सामने फिर देश के आगे 

कहां कब कौन  क्या कुछ कर रहा यह भांपना होगा


अभी कुछ लोग अपने में मगन हैं 

कठिन धरती उन्हें लगती

गगन है

समूचा देश संकट से घिरा है

लगी उनको मगर अपनी लगन है


हमारा राग पूरे देश के अनुराग वाला है

हरी खेती भरा खलिहान गुरुद्वारा शिवाला है 

सलीका आन पाये अगर समुन्दर में उतरने का 

साहिल की या मौजों की कहो इसमें खता क्या है


अभी निश्चिन्त होने का समय आया नहीं है 

अभी अपराध को उपदेश मन भाया नहीं है

रहो चौकस न श्लथ हो हाथ की मुट्ठी 

स्वदेशी भाव  कुछ ने अभी अपनाया नहीं है


हमारी राह अपने आप हमने खुद बनाई है 

मरुस्थल में सुधामय शान्ति की सरिता बहाई है

कभी हमने  किसी से भी परायापन नहीं माना 

सदा ही राम की गाथा कथा सबको सुनाई है


आज के सदाचार संप्रेषण में  हमको हिम्मत बंधाने का भी आचार्य जी ने प्रयास किया है

गीता में

चेतसा सर्वकर्माणि मयि संन्यस्य मत्परः।


बुद्धियोगमुपाश्रित्य मच्चित्तः सततं भव।।18.57।।


मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि।


अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि।।18.58।।


ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।


भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारूढानि मायया।।18.61।।


चित्त से सारे कार्य मुझमें अर्पण करके,  मेरी कृपा से सम्पूर्ण विघ्नों को तर जायगा और यदि तू अहंकार के कारण मेरी बात नहीं सुनेगा तो तेरा पतन हो जायगा।


 ईश्वर सम्पूर्ण प्राणियों के हृदय में रहता है और अपनी माया से शरीररूपी यन्त्र पर आरूढ़ हुए सम्पूर्ण प्राणियों को  भ्रमण कराता रहता है।और हम खिलौनों की भांति नाचते रहते हैं l


भगवान् पर विश्वास रखें घरेलू पारिवारिक आदि समस्याओं को परमात्मा ही सुलझाता है समस्याओं और संकटों के आने का कोई समय नहीं होता लेकिन समाधान मिलते रहते हैं हमें अपनी सोच सकारात्मक रखनी चाहिये

आचार्य जी हम लोगों को आशीर्वाद दे रहें हैं कि हमारी योजनाएं संकल्प उद्देश्य तक पहुंचें