राम कहा तनु राखहु ताता। मुख मुसुकाइ कही तेहिं बाता॥
जाकर नाम मरत मुख आवा। अधमउ मुकुत होइ श्रुति गावा॥
प्रस्तुत है अकुतोभय आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 6 मई 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
इन सदाचार संप्रेषणों में आचार्य जी के व्यवस्थित विचारों के प्रकाशन से प्रतिदिन हम लाभान्वित हो रहे हैं और हमारा समय सार्थक हो रहा है
इनमें आत्मीयता की प्राप्तियां बहुत हैं
आचार्य जी का प्रयास रहता है कि हम इनमें से तत्त्व ग्रहण करते जाएं और अपने जीवन में सद्गुणों का संचार करें
भारतीय संस्कृति,जिसमें अद्वितीय सुख और आनन्द है अनगिनत शक्तियां हैं, को पहचानकर हमें इसे आत्मसात् करना चाहिये
यही संस्कृति संबन्धों की सुरम्य वाटिका है
आजकल हमारे देश में पाश्चात्य रंगों की नुमाइश लगी है एक विषय चल रहा है नारी विमर्श
स्त्री पुरुष का ये संबन्ध नहीं अनुबन्ध है
जहां संबन्ध नहीं होते हैं वहां औपचारिकता होती है औपचारिकता में क्षुद्र स्वार्थ सामने आते हैं
जहां संबन्ध नहीं अनुबन्ध हों तो ज्यों ही शर्त टूटी अनुबन्ध टूट जाता है
विदेशों में अनुबन्ध होते हैं हमारे यहां संबन्ध होते हैं
हम संबन्धों के लिये समर्पित रहते हैं
तुलसीदास अपनी पत्नी के लिये जीवन भर वियोग से तप्त रहे इस वियोग का परिणाम ही श्रीरामचरित मानस है यह वियोग संबन्धों का वियोग है नारी का वियोग नहीं है
अवगुन मूल सूलप्रद प्रमदा सब दु:ख खानि।
ताते कीन्ह निवारन मुनि मैं यह जियँ जानि॥44॥
की व्याख्या करते हुए आचार्य जी ने बताया कि भगवान् राम ने विष्णु स्वरूप में नारद जी को विवाह करने से क्यों रोका
भगवान् राम ने संबन्धों को बहुत महत्त्व दिया
सीता से संबन्ध के कारण ही भगवान् राम ने कहा
हा गुन खानि जानकी सीता। रूप सील ब्रत नेम पुनीता॥
लछिमन समुझाए बहु भाँति। पूछत चले लता तरु पाँती॥4॥
भगवान् राम का पौरुष जागता है सीता उनकी पत्नी है पत्नी और नारी में अन्तर है
सीता हरन तात जनि कहहु पिता सन जाइ।
जौं मैं राम त कुल सहित कहिहि दसानन आइ॥ 31॥
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया शुभेन्द्र सिंह और भैया नीरज कुमार का नाम क्यों लिया जानने के लिये सुनें