8.5.22

आचार्य श्री ओम शंकर जी का दिनांक 8 मई 2022 का सदाचार संप्रेषण

 .            ll ध्येय -वाक्य ll

" प्रचण्ड तेजोमय शारीरिक बल, प्रबल आत्मविश्वास युक्त बौद्धिक क्षमता एवं निस्सीम भाव सम्पन्ना मनः शक्ति का अर्जन कर अपने जीवन को निःस्पृह भाव से भारत माता के चरणों में अर्पित करना ही हमारा परम साध्य है l "



प्रस्तुत है युक्त आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 8 मई 2022

  का  सदाचार संप्रेषण 




https://sadachar.yugbharti.in/


https://youtu.be/YzZRHAHbK1w


इन सदाचार संप्रेषणों के माध्यम से हमारे अन्दर स्वात्मदर्शन करते हुए आचार्य जी हमें इस संसार, संसारेतर, कर्तव्य भाव विचार क्रिया आदि बहुत से विश्लेषणात्मक विषयों को लेकर प्रेरित करते रहते हैं

*वयं राष्ट्रे जागृयाम पुरोहिताः* के लिये


हमारा देश हमारी संस्कृति हमारा चिन्तन वैश्विक है यह संपूर्ण सृष्टि जगत् को आत्मस्वरूप मानता है


इस अध्यात्म के साथ शौर्य को प्रमण्डित करना आवश्यक है

संघर्ष सर्वत्र हैं जिनके लिये शक्ति आवश्यक है विजय के लिये युक्ति आवश्यक है और धीरज बनाये रखने के लिये भक्ति आवश्यक है

हमारे अन्दर शक्ति भक्ति युक्ति चैतन्य विचार विश्वास आत्मीयता आत्मबोध को जाग्रत करने के लिये आचार्य जी नित्य प्रयास करते हैं


इस सदाचार का हेतु है कि हम लोग उचित दिशा में प्रेरित हो सकें ताकि संसार की समस्याओं से जूझते हुए सामञ्जस्य समन्वय का आनन्द लेने में कठिनाई न हो


मानस गीता उपनिषद् ब्रह्मसूत्र आदि के लिये आप बार बार प्रेरित करते हैं


आचार्य जी कभी हिन्दू जागरण मंच में बौद्धिक विभाग के प्रभारी रहे थे उस समय आचार्य जी ने एक अंक प्रकाशित किया था *अब काशी की बारी है*


राम कृष्ण शिव की त्रिशक्ति को हम व्यामोहित नहीं देखना चाहते हम विचारों के लिये संघर्ष करते हैं

गीता ज्ञान भी यही कहता है जो मार्गभ्रष्ट है उसे हटा दो


उसे ललकारने के लिये हमारे अन्दर शक्ति युक्ति भक्ति भी होनी चाहिये


हिन्दुत्व ही राष्ट्रीयत्व है हिन्दुत्व ही सनातनत्व है


इस हिन्दुत्व बोध से जो उत्साहित रहते हैं उनको संगठित संस्कारित विचारित और उद्देश्य हेतु समर्पित करना हमारा कर्तव्य है


मैंने सामाजिक उत्थान सामाजिक चैतन्य हेतु आज क्या किया इस पर सोने से पूर्व अवश्य चिन्तन करें


युगभारती के संगठन का मूलाधार यह होना चाहिये कि   एक आवाज पर कितने लोग एकत्र हो सकते हैं चाहे आक्रमण हुआ हो किसी का उत्सव हो आदि 


राष्ट्रभक्त जो छद्मवेशी न हो शुद्धहृदयी हो को साथ लेकर चलें