अस्थि चर्म मय देह यह ,ता सौ ऐसी प्रीत
नेकु जो होती राम में ,तो काहे भव भीत
प्रस्तुत है आरभट आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 14 जून 2022
का सदाचार संप्रेषण
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संसार में समस्याओं के अम्बार हैं आधा अधूरा जीवन लेते हुए भी जो राम में कृष्ण में परमात्मा के दर्शन करते हैं उन्हें सांसारिक व्याधियां या तो सताती ही नहीं हैं और यदि सताती हैं तो उनका निवारण भी हो जाता है
यह हमारा सनातन आध्यात्मिक चिन्तन है और इसी चिन्तन के आधार पर हमने संपूर्ण विश्व में आध्यात्मिक विजय (भौतिक विजय नहीं )किसी समय प्राप्त की है
संवत् सोलह सौ इकतीसा। करौं कथा हरिपद धरि सीसा।।
नौमी भौम वार मधुमासा। अवधपुरी यह चरित प्रकासा।।”
तुलसीदास जी ने सन् 1574 ई. में रामचरितमानस की रचना प्रारंभ की और इसे दो वर्ष सात माह में पूरा किया था। इसके द्वारा तुलसीदास जी ने हमारी आध्यात्मिक और भौतिक समस्याओं को सुलझाने का प्रयास किया है।
उस समय धूर्त अविनयी ठग धोखेबाज अकबर का शासन था अकबर का जनता पर शासन था तो तुलसीदास ने लोगों के हृदयों पर शासन किया
चिन्तक विचारक लोग ऐसे समय में कोई न कोई सृष्टि रच देते हैं और इसी कारण हमारे देश को सदैव ऊर्जा मिलती रही है
बारे तेँ ललात बिललात द्वार द्वार दीन,
जानत हौं चारि फल चारि ही चनक को॥
तुलसी सो साहिब समर्थ को सुसेवक है,
सुनत सिहात सोच बिधि हू गलक को।
नाम, राम! रावरो सयानो किधौं बाबरो,
जो करत गिरी तेँ गरु तृन तेँ तनक को॥
तुलसी को जन्म देने के बाद ही उनकी मां चल बसीं मूल नक्षत्र में जन्म होने के कारण अपशकुन मानकर पिता ने उन्हें घर से निकाल दिया
उन्हें दासी ले गई कुछ दिन बाद सांप के काटने से दासी भी मर गई और तुलसी पूरी तरह अनाथ होकर सड़क पर आ गए
उनका बचपन भीख मांगते हुए बीता
तदपि कही गुर बारहिं बारा। समुझि परी कछु मति अनुसारा॥
भाषाबद्ध करबि मैं सोई। मोरें मन प्रबोध जेहिं होई॥
रामचरित मानस का गुटका हमें घर घर में मिल जायेगा
वेद पुराण उपनिषद् बहुत महत्त्वपूर्ण हैं लेकिन हर जगह ये प्रविष्ट न हो सके
नाना पुराण निगमागम सम्मतं यद्
रामायणे निगदितं क्वचि दन्यतोअपि
स्वान्त: सुखाय तुलसी रघुनाथ गाथा
भाषा निबंध मति मंजुल मातनोति।।
स्वान्तः सुख को पहचानना बहुत मुश्किल है
आत्मबोध की कमी ईर्ष्या बहुत नुकसान करती रही है
मैं स्वयं इकाई के रूप में क्या कर सकता हूं इस पर चिन्तन करें
इसके अतिरिक्त भैया अरविन्द जी को क्या अच्छा लगता है शवासन और साधु का क्या प्रसंग है सम्राट पृथ्वीराज फिल्म से हमने क्या सीखा भैया प्रकाश शर्मा जी का नाम किस संदर्भ में आया श्री अशोक सिंघल जी का उल्लेख क्यों हुआ आदि जानने के लिये सुनें