क्लैब्यं मा स्म गमः पार्थ नैतत्त्वय्युपपद्यते।
क्षुद्रं हृदयदौर्बल्यं त्यक्त्वोत्तिष्ठ परन्तप।।2.3।।
प्रस्तुत है क्रोधोज्झित आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 15 जून 2022
का सदाचार संप्रेषण
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उत्तरकांड में
बिनु गुर होइ कि ग्यान ग्यान कि होइ बिराग बिनु।
गावहिं बेद पुरान सुख कि लहिअ हरि भगति बिनु॥89 क॥
कोउ बिश्राम कि पाव तात सहज संतोष बिनु।
चलै कि जल बिनु नाव कोटि जतन पचि पचि मरिअ॥89 ख॥
गुरु और वैराग्य के बिना क्या ज्ञान का अस्तित्व है? अर्थात् नहीं है इसी तरह वेदों और पुराणों के अनुसार हरि की भक्ति के बिना सुख नहीं मिल सकता है यह विश्वास करना होगा
हमें यह भी विश्वास करना होगा कि स्वाभाविक संतोष के बिना कोई शांति नहीं पा सकता है जैसे बहुत सारे उपाय करके भी जल के बिना नाव नहीं चल सकती है
विश्वास की कमी एक बहुत बड़ी समस्या है परस्पर का अविश्वास करते करते आत्मविश्वास टूट जाता है
हम समस्याओं का विचार करते हैं तो हमें समस्याएं ही समस्याएं दिखती हैं और यदि हम आनन्द का अनुभव करते रहें तो आनन्द हमारे अभ्यास में आ जाता है
हमें आत्मविश्वास नहीं तोड़ना चाहिये
आचार्य जी ने नूपुर शर्मा के निलंबन का उल्लेख करके बताया कि जब हम ऊंची छलांग लगाते हैं तो पीछे हटते हैं
विदित हो कि केन्द्र सरकार ने तीनों सेनाओं में भर्ती के लिये अग्निपथ योजना की घोषणा की है देखा जाये तो पूरा देश ही अग्निपथ है
जिसके मन में शक्ति, शौर्य, समर्पण का भाव, सेवा, देशप्रेम और आत्मविश्वास नहीं वो अग्निपथ पर नहीं चल सकता अग्निपथ पर अग्निवीर ही चल सकते हैं
हम लोगों का कर्तव्य है कि नौजवानों को अग्निवीर बनने के लिये प्रेरित करें
गौरीनाथ रस्तोगी जी की इजरायल पर लिखी पुस्तक की चर्चा करते हुए आचार्य जी ने बताया कि वहां का हर नागरिक देशभक्ति और आत्मविश्वास से ओतप्रोत है
भारतीय संस्कृति में बहुत सारी अच्छाइयां हैं अध्यात्म में डूबी इस संस्कृति ने जब शौर्य को एक किनारे कर दिया तो हमें दुष्परिणाम झेलने पड़े इसलिये हमें शौर्य प्रमंडित अध्यात्म को अपनाना है
हमें आनन्द तब आयेगा जब हमारे लोग स्वस्थ प्रसन्न आनन्दित होंगे
इसके अतिरिक्त आचार्य जी ने भैया अमित गुप्त जी का नाम क्यों लिया जब आचार्य जी प्रचारक थे तो उस समय के किस प्रसंग का उल्लेख आज हुआ परिपूर्णता की परिकल्पना करते समय किन्हें अपूर्णता की परिस्थिति से सामना करना पड़ा आदि जानने के लिये सुनें