प्रस्तुत है अनुनायक आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 26 जून 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
मानव समाज परमात्मा का वह स्वरूप है जो संपूर्ण सृष्टि को नियमित नियन्त्रित व्यवस्थित उपयोगी और प्रकृति के अनुकूल बनाता है l
इसके विकारों को संशोधित करने के लिये मनुष्यों के द्वारा ही किसी न किसी रूप में समय समय पर सुधार संस्कार प्रारम्भ हो जाते हैं
आचार्य जी ने 25 जून 1975 को लगे आपातकाल की चर्चा की
भारतीय जनसंघ, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे बहुत से राष्ट्रवादी संगठन प्रतिबंधित कर दिये गये बहुत ही संकटों से भरा वह समय था
लेकिन
यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।
अभ्युत्थानमधर्मस्य तदाऽऽत्मानं सृजाम्यहम्।।4.7।।
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4.8।।
पुरुषावतार मत्स्यावतार लीलावतार युगावतार जैसे अनेक अवतार हैं और इसी तरह
जो संगठित होकर काम करते हैं ऐसा संगठनावतार है
जो अपने को इस संगठन का अंग मानते हैं वो अवतार स्वरूप में काम करते हैं
जो संगठन में केवल भीड़ का हिस्सा हो जाते हैं वो उसका हिस्सा न होकर उसका दर्शन करने आते हैं
युगभारती भी ऐसा ही संगठनावतार है जो समाज को संकट से उबार रहा है
जब जब होइ धरम कै हानी। बाढहिं असुर अधम अभिमानी।।
करहिं अनीति जाइ नहिं बरनी। सीदहिं बिप्र धेनु सुर धरनी।।
तब तब प्रभु धरि बिबिध सरीरा। हरहि कृपानिधि सज्जन पीरा।।
असुर मारि थापहिं सुरन्ह राखहिं निज श्रुति सेतु।
जग बिस्तारहिं बिसद जस राम जन्म कर हेतु।।121।।
जो वास्तव में सद्गुणी हैं समाज का चिन्तन करते हैं ऐसे लोग संगठन के अंग होते हैं
बाकी उसके द्रष्टा होते हैं
हमें स्मृतियां संजो कर रखनी चाहिये ताकि खराब घटनाएं फिर न हों अच्छी घटनाएं बार बार हों
सन्मार्ग पर स्वयं चलते हुए औरों को भी चलाने का प्रयास करें
आज सरौंहां में कहने को तो आम्र रसास्वादन समारोह है और आप सब लोग उसमें सादर आमन्त्रित भी हैं लेकिन इसका मूल उद्देश्य है मानव समाज के कल्याण के लिये संगठन को मजबूत बनाना
इसके अतिरिक्त किस अखबार में लिखा था चुप रहें जनता समाचार अखबार से आचार्य जी का क्या ताल्लुक था जानने के लिये सुनें