जड़ चेतन गुन दोषमय बिस्व कीन्ह करतार।
संत हंस गुन गहहिं पय परिहरि बारि बिकार॥6॥
प्रस्तुत है अध्यात्म -भुविस् आचार्य श्री ओम शंकर जी का आज दिनांक 28 जून 2022
का सदाचार संप्रेषण
https://sadachar.yugbharti.in/
https://youtu.be/YzZRHAHbK1w
ऋषियों वीरों त्यागियों कर्मशीलों की स्मृतियों में जाते हुए हमें लगता है कि वास्तव में हम ज्ञान, कर्म, त्याग आदि सद्गुणों के भंडार भारत वर्ष में निवास कर रहे हैं
ऐसे देश में रहने के बाद भी हम यदि व्याकुल दुःखी होते हैं तो इसका अर्थ है कि संसार हमसे बुरी तरह लिपट गया है
इसको छुड़ाने के लिये ही आचार्य जी के ये प्रातःकालीन सदाचार संप्रेषण अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं
जो हमें अध्ययन स्वाध्याय ध्यान प्राणायाम उचित खानपान अपनेपन की प्रेरणा भी देते हैं
अल्प समय में यदि हमें आत्मस्थ होने का अभ्यास है तो बहुत से अच्छे काम हम कर लेते हैं
हम मनुष्यों का प्रायः स्वभाव होता है कि अच्छे समय की प्रतीक्षा में उस काम को टाल देते हैं
मनु कहते हैं
श्रुतिः स्मृतिः सदाचारः स्वस्य च प्रियमात्मनः।
एतच्चतुर्विधं प्राहुः साक्षाद्धर्मस्य लक्षणम्।।
धर्म शब्द के उलझाव वाले स्वरूप में जाकर भ्रमित न हों
वेद, अनुभूत विषय, सदाचार और आत्मतुष्टि धर्म के ये चार लक्षण हैं
धर्मशास्त्र के वक्ताओं में मनु महाराज, यम, अंगिरा, पराशर आदि अनेक नाम हैं
युगभारती के चार सिद्धान्त हैं शिक्षा स्वास्थ्य स्वावलम्बन और सुरक्षा
सरौंहां को हमने स्वास्थ्य और स्वावलम्बन का केन्द्र बनाया है उसे हम अपना समझकर तरह तरह के प्रयोग करते हुए आनन्दित उत्साहित होते हैं
शिक्षा के प्रयोग के लिये उन्नाव में सिविल लाइंस में एक विद्यालय है
हमें सदैव सकारात्मक सोच रखनी चाहिये स्वयं हमारा, युगभारती का देश का भविष्य उज्ज्वल है
हर जगह अपनेपन का भाव आना चाहिये चाहे संस्था हो चाहे देश हो चाहे विद्यालय हो
इससे लगाव पैदा होगा हम चिन्तित भी होंगे
इसी लगाव के विस्तार के लिये समय समय पर कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं
समय व्यतीत होता जा रहा है लेकिन हमारे अनुभवों में भी वृद्धि हो रही है उन अनुभवों को राष्ट्रार्पित करते रहें